इसके अलावा बिजनेस, फैशन, आर्किटेक्चर, एरोस्पेस, बिजनेस एनालिटिक्स जैसे कोर्सेज के लिए सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्विट्जरलैंड और पोलैंड नई चॉइसेज के रूप में डवलप हो रहे हैं। फॉरेन एजुकेशन एक्सपट्र्स का कहना है कि यूएस और यूके तो हमेशा से ही इंडियन स्टूडेंट्स की चॉइस में रहे हैं, लेकिन इन कंट्रीज की गवर्नमेंट की फॉरेन एजुकेशन पॉलिसी ने स्टूडेंट्स को खासा आकर्षित किया है। यूजी, पीजी और पीएचडी कोर्सेज के लिए स्टूडेंट्स इन कंट्रीज का रुख कर रहे हैं।
ये हैं वजह
फॉरेन एजुकेशन एक्सपर्ट आयुष पेरीवाल के अनुसार, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग जैसी कंट्रीज की सरकार ने स्टूडेंट्स के लिए अच्छी पॉलिसीज और स्कीम्स बनाई हैं। यूनिवर्सिटीज को फंड किया है और वे चाहते हैं कि दुनियाभर से बेस्ट ब्रेन सामने आएं। वहीं इन कंट्रीज का पीसफुल एन्वायर्नमेंट भी पैरेंट्स की चिंता कम कर रहा है। फॉरेन एजुकेशन एक्सपर्ट पवन सोलंकी के अनुसार, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा के लिए भी जयपुर के स्टूडेंट का रुझान देखने को मिल रहा है। कई कंट्रीज में सरकार की तरफ से स्टेबैक वीजा मिलता है। जिसके तहत स्टूडेंट पढ़ाई के बाद तीन साल तक वहां रह सकते हैं। जबकि यूएस और यूके में चार महीने में जॉब करना जरूरी है।
इंटर्नशिप के लिए डवलपिंग कंट्रीज का रुख
फॉरेन एजुकेशन एक्सपर्ट नीलाक्षी चतुर्वेदी का कहना है कि स्टूडेंट्स इंटर्नशिप के लिए अब डवलपिंग कंट्रीज का रुख कर रहे हैं। इन कंट्रीज में न केवल स्टूडेंट्स को बेहतर लर्निंग मिल रही है, बल्कि पेड इंटर्नशिप के मौके मिल रहे हैं।
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