सदेरला ने अपने सहकर्मियों पर जातीय टिप्पणी करने का आरोप लगाया है। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने पहले ही चारों को मजाक, मानसिक यातना व धमकी देने का दोषी पाया है। अपनी शिकायत में सदेरला ने आरोप लगाया है कि उन्होंने जुलाई 2017 में एक नौकरी के लिए आवेदन किया था और उन्हें बाह्य विशेषज्ञों की मंजूरी पर 28 दिसंबर 2017 को नियुक्ति पत्र दिया गया।
उन्होंने पुलिस को दी गई शिकायत में कहा कि वह एक जनवरी 2018 को आईआईटी-कानपुर में सहायक प्रोफेसर के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने आरोप लगाया कि 4 जनवरी को एक संगोष्ठी के दौरान संजय मित्तल ने उन पर अपमानजनक टिप्पणी की, जिसके बाद उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए गए।
इसके बाद सदेरला ने राज्य एससी/एसटी आयोग में शिकायत की, जिस पर 10 अप्रैल को सुनवाई हुई और चारों प्रोफेसरों के खिलाफ आदेश दिए गए। आरोपी प्रोफेसरों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां उन्हें मामले में स्टे मिल गया।