हाल ही में बोर्ड ने एक नई व्यवस्था लागू करते हुए कहा था कि अगर कोई बोर्ड स्टूडेंट मार्क्स वेरीफिकेशन और पुनर्मूल्यांकन के लिए अप्लाई करता है और उसके मार्क्स कम या ज्यादा हो जाते हैं, तो उस स्टूडेंट को अपनी मार्कशीट सरेंडर करनी ही होगी। रीवैल्यूएशन के बाद आए मार्क्स ही फाइनल मार्क्स माने जाएंगे, जो बोर्ड की ओर से जारी नई मार्कशीट पर अंकित होंगे। पहले रीवैल्यूएशन के बाद मार्कशीट सरेंडर करना जरूरी नहीं था।
डिजिलॉकर से एक्सेस
सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि मार्क्स वेरीफिकेशन और रीवैल्यूएशन प्रोसेस पूरा कर लिया गया है और स्टूडेंट्स के मार्क्स परिणाम मंजूषा पर अपलोड कर दिए गए है, जिन्हें डिजिलॉकर के साथ इंटीग्रेट किया गया है। यूनिवर्सिटी डिजिलॉकर से स्टूडेंट्स के मार्क्स एक्सेस कर सकेंगी, ऐसे में स्टूडेंट्स पुरानी मार्कशीट काम में नहीं ले सकेंगे।
अभी तक मार्क्स कम होने पर स्टूडेंट्स मार्कशीट सरेंडर नहीं करते थे और मार्क्स बढऩे पर बोर्ड से नई मार्कशीट ले लेते थे। लेकिन अब दोनों ही स्थितियों में स्टूडेंट्स को मार्कशीट सरेंडर करनी होगी। सीबीएसई के इस कदम से रीवैल्यूएशन में कमी आई है।
– डॉ. संजय पाराशर, टीचर, सुबोध स्कूल