आर्ट एजुकेशन, हेल्थ और फिजिकल एजुकेशन और वर्क एक्सपीरियंस को आठवें और नौवें पाठ्यक्रम विषय के तौर पर लिया जा सकता है। आठवें और नौंवे विषय का आंतरिक मूल्यांकन स्कूल स्तर पर किया जाएगा। सभी विषयों को ग्रुप वाइज रखा गया है। अब छात्र गु्रप के अनुसार ही अपने विषयों का चयन कर पाएंगे। यह सुविधा मिलने से छात्रों को मुख्य विषय, वैकल्पिक विषय और भाषा विषय को चुनने में मदद मिलेगी।
सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, छात्रों को विषयों को चुनने में कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विषयों का चयन करने के लिए छात्र अपने अभिभावकों, वरिष्ठ साथियों या शिक्षकों पर निर्भर रहते हैं। हालांकि विषयों को अब ग्रुपों में बांट दिया गया है, जिससे छात्र अपने विषय का चयन आसानी से कर सकेंगे।
हालांकि 9 विषय होने के बावजूद छात्रों का रिजल्ट पांच विषयों की परीक्षाओं में मिले अंकों के आधार पर ही तय होगा। यानी बोर्ड का रिजल्ट पांच विषयों पर ही जारी होगा। इनमें पांच अनिवार्य विषय के अलावा दो भाषा शामिल हैं। बोर्ड की मानें तो 10वीं स्तर से ही कौशल आधारित शिक्षा देने के लिए बाकी विषय को जोड़ा गया है।