चीफ जस्टिस गीता मित्तल और चीफ जस्टिस सी हरी शंकर की बैंच ने कहा कि कोर्ट अब इस मामले में और समय नहीं देगा। हाईकोर्ट ने यह निर्देश सरकार की ओर से दी गई जानकारी के बाद दिए हैं, जिसमें सरकार ने कहा है कि लैफ्टिनेंट गवर्नर ने मंजूरी दे दी है कि डीडीए कम से कम २४०० स्कवायर मीटर जमीन डायरेक्ट्रेट ऑफ एजुकेशन को देगा, जिसे स्कूल को मुफ्त में सौंपा जाएगा, ताकि वहां बिल्डिंग बनाई जा सके।
बैंच ने ब्लूप्रिंट २७ अगस्त तक मांगा है, इसी दिन सुनवाई भी होनी है। इससे पहले हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिए थे कि वह एलजी के समाने जमीन आवंटन का मुद्दा रखें। वर्ष २०१५ से ही आप सरकार हाईकोर्ट को आश्वासन देती आ रही है कि टैंट्स से चलने वाले तमाम स्कूलों को जमीन आवंटित की जाएगी, ताकि स्कूल की बिल्डिंग बन सके।
आपको बता दें कि इस मामले पर एक्टिविस्ट फिरोज बख्त अहमद ने पीएलआई दाखिल की थी जिसमें कौमी स्कूल की दयनीय स्थिति के बारे में जिक्र किया था। पीएलआई में बताया गया था कि इमरजेंसी के समय स्कूल की बिल्डिंग ध्वस्त किए जाने के बाद से किस तरह यह स्कूल ईदगाह के मैदानों में चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में दिल्ली की आप सरकार ने राज्य के कई सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों जितना सुंदर बना कर सुर्खियां बटोरी हैं।