अब उठी प्राइवेट स्कूलों में 12वीं क्लास तक फ्री शिक्षा की मांग
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईब्डल्यूएस) के बच्चों को स्कूलों में मुफ्त शिक्षा देने वाले कानून राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 (आरटीई) में संशोधन की मांग उठ रह

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईब्डल्यूएस) के बच्चों को स्कूलों में मुफ्त शिक्षा देने वाले कानून राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 (आरटीई) में संशोधन की मांग उठ रही है। मंगलवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में मांग की गई है कि ईब्डल्यूएस कैटेगिरी के बच्चों को १२वीं क्लास तक फ्री एजुकेशन दी जाए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने केेंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने दोनों सरकारों से पूछ है कि क्यों न आरटीई एक्ट में बदलाव करने के आदेश दिए जाएं, जिससे ईब्डल्यूएस कैटेगिरी के बच्चों को १२वीं क्लास तक मुफ्त शिक्षा मिल सके। इस मामले में सरकारों को २६ सितंबर तक जवाब देना है और इसी दिन मामले की अगली सुनवाई भी होगी।
यह याचिका सोशल जुरिस्ट नामक एनजीओ के वकील अशोक अग्रवाल की ओर से दाखिल की गई है। उन्होंने याचिका में मुफ्त शिक्षा के अधिकार आरटीई एक्ट 2009 की धारा 12(1)सी में संशोधन की मांग की है। इसेक तहत प्राइवेट और गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में ईब्डल्यूएस कैटेगिरी के बच्चों को सिर्फ 8वीं क्लास तक मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान है। इसे बदलकर १२वीं क्लास तक निशुल्क शिक्षा मुहैया करवाने की मांग की गई है।
अग्रवाल ने बेंच को बताया कि बहुत सारे प्राइवेट स्कूलों में इस कैटेगिरी के बच्चों पर 8वीं कक्षा के बाद पढ़ाई जारी रखने के लिए फीस चुकाने का दबाव बनाया जा रहा है। वहीं जो बच्चे फीस नहीं दे पा रहे उन्हें स्कूल से बाहर निकाला जा रहा है। ऐसे में इस स्टूडेंट्स के पास दो ही रास्ते बचते हैं या तो वे सरकारी स्कूल में पढ़ें जहां हिंदी मीडियम में पढ़ाई करवाई जाती है, या फिर वे अपनी पढ़ाई पर ही ब्रेक लगा दें।
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