इस संबंध में यूनिवर्सिटी ने जारी निर्देश में कहा है कि पहले सीनियर पीएचडी छात्रों को वरीयता दी जाए। इसके बाद पीएचडी के अन्य छात्रों को कमरा मुहैया कराया जाए। यूनिवर्सिटी का कहना है कि जिन लोगों ने 19 मार्च को आधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार अपने कमरे खाली कर दिए थे, उनसे हॉस्टल मेस की फीस न लें छात्रावासों को सलाह दी जाती है कि वे केवल रजिस्टर्ड बोना-फाइड पीएचडी छात्रों को चरणबद्ध तरीके से छात्रावासों में वापस आने की अनुमति दें। हालांकि इन स्टूडेंट्स को भी अपने संबंधित छात्रावास के कमरों में 14 दिनों के लिए खुद को क्वारंटाइन करना होगा। इसके बाद उनकी स्क्रीनिंग होगी। इसके बाद वह किसी भी गतिविधि में हिस्सा ले पाएंगे।
14 दिन पूरे होने के बाद, हॉस्टल को सलाह दी जाती है कि वे पीएचडी छात्रों को अपने संबंधित प्रयोगशालाओं में शामिल होने की अनुमति दें। नोटिस में कहा गया है कि पीएचडी के छात्र-छात्राओं को अपने रिसर्च पर्यवेक्षकों को 14 दिन पूरे होने का सबूत देना होगा।