इस सुविधा को संचालित करने वाले राजस्थान विश्वविद्यालय के इन्फोटेक सेंटर को इस गड़बड़झाले का पता चला तो फ्री वाई-फाई पर रजिस्टर्ड 50 यूजर्स और आधा दर्जन ऐसे कार्यालयों पर कार्रवाई की गई है, जहां लाइन के जरिए इन्टरनेट एक्सेस किया जा रहा था। Rajasthan University wifi password पंजीकृत विद्यार्थियों और शिक्षकों के पास ही है।
इन्फोनेट सेंटर से हर दिन यूजर्स का रैंडम सर्वे किया जाता है। इसके अलावा हर दस दिन में बैकलॉग निकाला जाता है। इस सर्वे में शौकीन मिजाजी का शगल सामने आने पर सेंटर ने कार्रवाई शुरू की है। लाइन और मोबाइल पर …. सर्च करने वाले एड्रेस को ब्लॉक किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय का वाई-फाई ऐसे में तो बहुत फायदेमंद है। इससे e-education ही नहीं प्राप्त करते है। बल्कि इससे शिक्षक और शोधार्थी फ्री में जर्नल्स डाउनलोड कर सकते है। पहले खूब जांच, फिर खुली छूट
Register On WiFi की प्रक्रिया देखें तो इसका उपभोग करने के लिए पहले यूजर्स को सेंटर में आवेदन करना होता है। उसके लिए विशेष आईडी और पासवर्ड आवंटित किया जाता है। शिक्षकों के लिए आईडी पासवर्ड की बाध्यता भी नहीं है। यूजर को एक बार रजिस्टे्रशन होने पर उसे कुछ भी देखने की खुली छूट मिल जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार वाई-फाई पर पर्याप्त सिक्योरिटी प्रबंध नहीं होने पर ऐसा होता है ।
विश्वविद्यालय में करीब 8 हजार यूजर्स वाई-फाई सुविधा में पंजीकृत हैं। सेंटर के सूत्रों के अनुसार करीब 15 से 20 प्रतिशत यूजर्स पोर्न साइट्स सर्च कर रहे हैं। हर समय वाई-फाई से 1500 से 2000 हजार यूजर्स कनेक्ट रहते है। जबकि इससे अधिक होने पर स्पीड स्लो हो जाती है।