script

समाज के शिक्षित होने से ही देश का होगा विकास : राष्ट्रपति कोविंद

locationजयपुरPublished: Dec 10, 2018 07:30:46 pm

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षा को विकास की कुंजी बताते हुए कहा, शिक्षा से ही देश का विकसित होगा। कोविंद सोमवार को गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक सप्ताह के समापन और सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शरीक हुए।

Ramnath Kovind

Ramnath Kovind

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षा को विकास की कुंजी बताते हुए कहा, शिक्षा से ही देश का विकसित होगा। कोविंद सोमवार को गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक सप्ताह के समापन और सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शरीक हुए। उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही देश का विकास होगा। समाज के शिक्षित होने से देश विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। देश के विकास के लिए शिक्षा मुख्य आधार शिला है। शिक्षा ही विकास की कुंजी होती है। राष्ट्रपति ने कहा कि देश के युवाओं की सबसे बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश में ही है। यह अपने आप में एक बहुत बडी संपदा है। युवाओं के बल पर प्रदेश की उपजाउ जमीन, प्रचूर जल-संसाधन, बहुत बड़ा घरेलू बाजार तथा अच्छी कनेक्टिविटी जैसी अनेक विशेषताओं का पूरा लाभ उठाया जा सकता है। प्रदेश में रोजगार मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के विकास से प्रदेश का सम्पूर्ण विकास है। प्रदेश में इन्फॉरमेशन टेकनालोजी और स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए नई नीति लागू की गई है। युवाओं को रोजगार देने के लिए सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। इन प्रयासों से प्रदेश के विकास में युवाओं की भागीदारी और बढ़ेगी। पूर्वांचल क्षेत्र के विकास के बिना उत्तर प्रदेश के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने विद्यार्थियों को महाराणा प्रताप के जीवन आदर्शों को अपनाने की सीख दी। साथ ही 2032 तक गोरखपुर को नॉलेज सिटी बनाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि शिक्षा हर व्यक्ति को अच्छा इंसान बनाती है। भारत के विकास का मतलब शिक्षा का विकास है। गौतमबुद्ध और संत कबीर महान शिक्षक थे। यह इस अंचल का सौभाग्य है कि गौतमबुद्ध से जुड़े कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु और लुम्बनी तथा कबीर से जुड़ा मगहर जो संतकबीर नगर जिले में वह गोरखपुर परिक्षेत्र में स्थित है। उन्होंने आगे कहा कि स्वाभिमान और आत्मगौरव के लिए सदैव सचेत रहने वाले, पूर्वी उत्तर प्रदेश और गोरखपुर परिक्षेत्र को वर्ष 1857 के स्वाधीनता संग्राम के बाद विदेशी शासन की क्रूरता और उदासीनता का सामना करना पड़ा था।

राष्ट्रपति ने कहा कि 20वीं सदी में भारतीय दर्शन और क्रिया योग के प्रति देश और विदेश में लोगों को ध्यान आक्रषित करने वाले परमहंस योगानंद का जन्म गोरखपुर में हुआ था। हजरत रोशन अली शाह जैसे संतों मोहम्मद सैयद हसन, बाबू बंधू सिंह और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जैसे शहीदों की स्मृतियों से जुड़ा गोरखपुर क्षेत्र, बाबा राघवदास जैसे राष्ट्रसेवी संत और महान साहित्यकार मुंशी प्रेम चंद की कर्मस्थली भी रहा है। उन्होंने कहा कि मुंशी प्रेम चन्द के कथासंसार में हमें गोरखपुर विशेषकर यहां के ग्रामीण अंचल की झलक दिखाई देती है। फिराक गोरखपुरी ने इस शहर के नाम को उर्दू साहित्य में अमर कर दिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि गोरखपुर में स्थित ‘गीता प्रेस’ ने आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को प्रसारित करने वाला प्रामाणिक साहित्य उपलब्ध कराकर अपना अतुलनीय योगदान दिया है। गीता प्रेस से नियमित रूप से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका ‘कल्याणÓ ने एक बहुत बड़े पाठक वर्ग को भारत की अमूल्य विरासत से जोड़ रखा है। उन्होंने कहा कि कल्याण के प्रथम संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार ने लोगों के संस्कार निर्माण द्वारा समाज को सात्विक उर्जा प्रदान की है। उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 1923 में स्थापित किए गए इस प्रेस में छपी पुस्तक प्रतियों की कुल संख्या अब 62 करोड़ से भी अधिक हो चुकी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में समग्र विकास के लिए पूरी कर्मनिष्ठा के साथ नेतृत्व प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रशंसा के पात्र हैं। मुख्यमंत्री योगी के पदभार संभालने से पहले एक सक्रिय सांसद के रूप में गोरखपुर को उनका निरन्तर नेतृत्व लगभग दो दशकों से प्राप्त हो रहा था। उन्होंने निरंतर राष्ट्रीय और प्रादेशिक मुददों के साथ-साथ इस क्षेत्र की समस्याओं की ओर सबका ध्यान आकृष्ट किया। उनके समाधान के लिए सक्रिय योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि भक्ति आन्दोलन से लेकर वर्ष 1857 के स्वाधीनता संग्राम तक नाथ पंथ के योगी जन-जागरण के सूत्रधार रहे हैं। समाज की एकता, देश की अखंडता और इस क्षेत्र के लोगों को अज्ञानता तथा अशिक्षा से मुक्ति दिलाने के लिए गोरखनाथ पीठ से जुड़े महानुभावों ने परिस्थिति एवं तत्कालीन समय के अनुसार महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि असाधारण राष्ट्र गौरव, वीरता और आत्म सम्मान के प्रतीक महाराणा प्रताप ने लोगों की रक्षा करने के लिए वनवासी जीवन के असहनीय कष्टों को सहन किया था। उन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग को साथ लेकर आजीवन संघर्ष करते हुए पराक्रम और बलिदान के एक ऐसे स्वर्णिम अध्याय की रचना की है जो हमेशा हम सब के लिए प्रेरणा का श्रोत बना रहेगा। उन्होंने हम सभी के कार्यों की सार्थकता की पुष्टि तभी होगी जब उनमें महाराणा प्रताप के जीवन-आदर्शों के अनुपालन की -झलक दिखाई पड़े।

ट्रेंडिंग वीडियो