उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की ओर इशारा करते हुए आरोप लगाया कि विश्वविद्यालयों में कुलपति के पदों पर उसकी विचारधारा के लोगों को बिठाया जा रहा है। उनकी सोच है कि हिन्दुस्तान की शिक्षा प्रणाली उनका औजार बन जाए, लेकिन हमारा मानना है कि सरकार को शिक्षा के लिए मदद करनी चाहिए। मतलब कि बैंक कर्ज को आसान बनाया जाना चाहिए। छात्रवृत्ति बढ़े, अधिक से अधिक छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय से जुड़ें और नामांकन को आगे बढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन भाजपा के शासन में इन आंकड़ों में गिरावट आई है।
इसलिए बढ़ रहा है गुस्सा
उन्होंने कहा कि देश के युवा ही वास्तव में देश को प्रगति के द्योतक हैं। देश को आगे बढऩा है तो उसे अपने युवाओं को सशक्त बनाना है। उनका कहना था कि वह शिक्षा के सख्त ढांचे में विश्वास नहीं करते हैं, बल्कि छात्र-छात्राओं को सशक्त बनाना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश में नौकरियों का संकट है, लेकिन हमारी सरकार मानना ही नहीं चाहती कि देश में नौकरियों का संकट है। उन्होंने कहा कि भारत ही नहीं अन्य कईं देशों में भी सबसे बड़ी समस्या नौकरियों की है। इस समस्या का गंभीरता से समाधान नहीं किया जा रहा है इसलिए गुस्सा बढ़ रहा है और दक्षिणपंथी संगठन उस गुस्से का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जनता का पैसा चोरों की जेब में डाला
उन्होंने मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा कि पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए पहले की सरकार ने RTI जैसी व्यवस्था को लागू किया गया, लेकिन इसे बर्बाद कर दिया गया है। मोदी ने नोटबंदी करके जनता की जेब से पैसा निकालकर चोरों की जेब में डाला है। हिंदुस्तान के इतिहास में नोटबंदी सबसे बड़ा घोटाला है और एक दिन यह सच्चाई सामने आएगी।
सामने आकर बात करने का साहस होना चाहिए
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हिंदुस्तान में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार जमीनों में होता है और मोदी सरकार ने पहला काम जमीन अधिग्रहण विधेयक को रद्द करने का किया क्योंकि वह जमीन देश के 15-20 उद्योगपतियों में बांटना चाहते हैं। पांच साल के दौरान 15-20 बडे उद्योगपतियों का बड़ा कर्ज माफ किया गया है। देश में संपत्ति का केन्द्रीकरण हो रहा है और यह काम इन उद्योगपतियों के लिए ही किया जा रहा है। उन्होंने युवाओं से कहा, आप मुझे पसंद करें या नहीं करें, लेकिन मेरा मानना है कि जिनका भी आप समर्थन करते हैं उनमें इतना साहस हो कि वह आपके सामने आकर आपसे बात कर सके। यदि आप सामने नहीं आते हैं तो यह सवाल स्वाभाविक है कि उनमें सामना करने की हिम्मत क्यों नहीं है।