मान्यता प्रदान करने के साथ, एनबीई अब दो साल के पोस्ट एमबीबीएस डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करेगा। अधिकारियों ने भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 (1956 का 102) की धारा 11 के section उप-खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके यह कदम उठाया है।
8 नए डिप्लोमा कोर्स-
एनेस्थीसियोलॉजी-
इस मेडिकल कोर्स का इस्तेमाल पेशेंट के किसी अंग को सुन्न करने या पेशेंट को बेहोस करने के लिए किया जाता है. इस कोर्स को करने वाले को एनेस्थेटिस्ट कहा जाता है।
एनेस्थीसियोलॉजी-
इस मेडिकल कोर्स का इस्तेमाल पेशेंट के किसी अंग को सुन्न करने या पेशेंट को बेहोस करने के लिए किया जाता है. इस कोर्स को करने वाले को एनेस्थेटिस्ट कहा जाता है।
ओब्सटेरिक्स और गायनेकोलॉजी-
यह प्रसूति एवं स्त्री रोग से सम्बंधित कोर्स होता है. इस कोर्स के जरिए प्रसूति एवं स्त्री रोग स्पेशलिस्ट को महिला प्रजनन अंगों के स्वास्थ्य की देखभाल और गर्भावस्था के प्रबंधन में निपुण बनाया जाता है।
यह प्रसूति एवं स्त्री रोग से सम्बंधित कोर्स होता है. इस कोर्स के जरिए प्रसूति एवं स्त्री रोग स्पेशलिस्ट को महिला प्रजनन अंगों के स्वास्थ्य की देखभाल और गर्भावस्था के प्रबंधन में निपुण बनाया जाता है।
पीडिएट्रिक्स-
इसे बाल रोग विज्ञान भी कहा जाता है. इस मेडिकल कोर्स से शिशुओं, बालों और किशोरों के रोगों की पहचान और उनका ट्रीटमेंट किया जाता है। ऑप्थैलमोलॉजी-
इस मेडिकल कोर्स से आँखों से सम्बंधित रोगों की पहचान की जाती है और उनका ट्रीटमेंट किया जाता है।
इसे बाल रोग विज्ञान भी कहा जाता है. इस मेडिकल कोर्स से शिशुओं, बालों और किशोरों के रोगों की पहचान और उनका ट्रीटमेंट किया जाता है। ऑप्थैलमोलॉजी-
इस मेडिकल कोर्स से आँखों से सम्बंधित रोगों की पहचान की जाती है और उनका ट्रीटमेंट किया जाता है।
ईएनटी-
इस कोर्स से आई, नोज और थ्रोट से सम्बंधित रोगों की पहचान और उनका ट्रीटमेंट किया जाता है। रेडियो डायग्नॉसिस-
इसके अंतर्गत एमआरआई, एक्स-रे, सीटी स्कैन, मशीनों के साथ ही साथ एलर्जी से सम्बंधित जानकारी प्रदान की जाती है।
इस कोर्स से आई, नोज और थ्रोट से सम्बंधित रोगों की पहचान और उनका ट्रीटमेंट किया जाता है। रेडियो डायग्नॉसिस-
इसके अंतर्गत एमआरआई, एक्स-रे, सीटी स्कैन, मशीनों के साथ ही साथ एलर्जी से सम्बंधित जानकारी प्रदान की जाती है।
टीबी एंड चेस्ट रोग-
इस कोर्स से ट्यूबरक्लोसिस और चेस्ट से सम्बंधित रोगों और उनके ट्रीटमेंट की जानकारी प्रदान की जाती है। पात्रता
आपकी जानकारी के बता दें कि ये डिप्लोमा कोर्स एमबीबीएस या इसके समकक्ष की डिग्री के बाद ही किए जा सकते हैं।
इस कोर्स से ट्यूबरक्लोसिस और चेस्ट से सम्बंधित रोगों और उनके ट्रीटमेंट की जानकारी प्रदान की जाती है। पात्रता
आपकी जानकारी के बता दें कि ये डिप्लोमा कोर्स एमबीबीएस या इसके समकक्ष की डिग्री के बाद ही किए जा सकते हैं।