इन छात्रों ने प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड लिखकर देश के मौजूदा सामाजिक, आर्थिक व सांप्रदायिक मुद्दों पर चिंता जताई थी। विश्वविद्यालय ने नौ अक्टूबर को इसी आधार पर इसे चुनाव संहिता का उल्लंघन और न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप बताते हुए निष्कासन नोटिस जारी की थी। आयुक्त का समन इसी के बाद आया। हालांकि, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने रविवार को निष्कासन को रद्द करने का पत्र जारी किया लेकिन छात्रों का कहना है कि अभी उनके समक्ष यह स्पष्ट नहीं है कि क्या अभी भी आयुक्त को उन्हें स्पष्टीकरण देना है या नहीं देना है। आयुक्त ने छात्रों से बैठक को बाद में सोमवार के लिए कर दिया था। राजनीतिक सूत्रों ने बताया कि सरकार को ऐन चुनाव से पहले विश्वविद्यालय का निष्कासन का निर्णय नहीं पंसद आया क्योंकि इसका भाजपा-शिवसेना पर विपरीत असर पड़ सकता था।