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भारत में उच्च प्रामाणिक खबरों के लिए फेसबुक ने किया करार

Published: Aug 03, 2018 01:57:42 pm

फेसबुक छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत एसीजे में पत्रकारिता के चार क्षेत्रों- प्रिंट, न्यू मीडिया, रेडियो और टीवी पत्रकारिता के पांच छात्रों का सहयोग लेगी

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भारत में उच्च प्रामाणिक खबरों के लिए फेसबुक ने किया करार

भारत में फैल रही फर्जी खबरों (फेक न्यूज) को रोकने और उच्च गुणवत्ता की पत्रकारिता सुनिश्चित करने के प्रयास के तहत फेसबुक ने गुरुवार को देश में अपनी पहली साझेदारी के तहत चेन्नई में स्थित ‘एशियन स्कूल ऑफ जर्नलिज्म’ (एसीजे) से करार करने की घोषणा की। दुनियाभर में उच्च गुणवत्ता की पत्रकारिता विकसित करने के लिए पिछले वर्ष शुरू की गई फेसबुक पत्रकारिता परियोजना के हिस्से के तौर पर इस करार के तहत एसीजे में छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
फेसबुक के न्यूज पार्टनशिप्स के वैश्विक प्रमुख केंपबेल ब्राउन ने कहा, एसीजे से हमारा समझौता भविष्य के पत्रकारों को प्रशिक्षित कर पत्रकारिता का वातावरण बनाने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है। फेसबुक ने एक बयान में कहा कि एसीजे का साझेदार बनकर फेसबुक पत्रकारिता के छात्रों को डिजिटल युग में तथ्य आधारित तथा उच्च प्रामाणिक पत्रकारिता के लिए प्रशिक्षित कर सकेगा। फेसबुक छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत एसीजे में पत्रकारिता के चार क्षेत्रों- प्रिंट, न्यू मीडिया, रेडियो और टीवी पत्रकारिता के पांच छात्रों का सहयोग लेगी।
एसीजे के चेयरमैन शशि कुमार ने कहा, फेसबुक जर्नलिज्म परियोजना से जुड़कर हम बहुत खुश हैं। यह छात्रों को व्यावहारिक अनुभव बताने के साथ-साथ जरूरी और विश्वास परक समाचार में अंतर बताने में निपुण बनाएगा। फेसबुक ने मुंबई स्थित एक स्वतंत्र डिजिटल पत्रकारिता कार्यक्रम बूमलाइव से अपना करार आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
‘किताबों पर प्रतिबंध लगाने की संस्कृति से विचार प्रभावित’
सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि किताबों पर प्रतिबंध लगाने की संस्कृति विचारों के मुक्त प्रवाह को प्रभावित करती है और इसके खिलाफ तब तक कदम नहीं उठाना चाहिए जबतक यह धारा 292 का उल्लंघन नहीं करता। यह धारा अश्लीलता पर प्रतिबंध लगाती है।प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़ ने उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें एस. हरीश द्वारा लिखित मलयाली उपन्यास ‘मीशा’ के एक भाग को हटाने की मांग की गई है।
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