आप जिस फर्म में काम करने की योजना बना रहे हैं, उसके बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा कर लें। आपको स्टैंडर्ड मार्केट सैलेरी भी पता होनी चाहिए। अपनी योग्यता और अनुभव के आधार पर किसी नए एम्प्लॉयर से मिलने से पहले आपको उस फर्म की परफॉर्मेंस के बारे में पता करना चाहिए। स्टैंडर्ड सैलेरी पता करने के लिए ऑनलाइन रिसर्च कर सकते हैं या फिर रिक्रूटमेंट कंसल्टेंट्स से बात कर सकते हैं।
अगर एम्प्लॉयर कोई ऑफर देते हैं और आप उसे ठुकराने की कोशिश करते हैं तो आपके पास बैकअप प्लान भी होना चाहिए। अगर बैकअप प्लान होगा तो आप बिना डरे सैलेरी से संबंधित अपनी बात रख पाएंगे। टफ जॉब मार्केट में किसी जॉब को एकदम से मना करना गलत होगा।
सैलेरी के बारे में एम्प्लॉयर को पहले बात करने दें। ज्यादातर कैंडिडेट खुद सैलेरी के बारे में पूछकर गलती करते हैं। इससे एम्प्लॉयर भांप जाएगा कि आपको ज्यादा अनुभव नहीं है और आप प्रोफाइल के बजाय सिर्फ सैलेरी को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं। अगर एम्प्लॉयर सैलेरी की बात शुरू करता है तो आपको नेगोसिएशन के लिए एक मजबूत आधार मिल जाता है।
नए एम्प्लॉयर को अपने से जुड़ी जानकारी देने में जल्दबाजी न दिखाएं। अगर आप अपनी पुरानी नौकरी में मिलने वाली सैलेरी, बोनस आदि के बारे में शुरुआत में ही बता देंगे तो एम्प्लॉयर तय कर लेगा कि आपको कितना पैसा देना है। आपको अपनी उपलब्धियों, जॉब प्रोफाइल और पोजीशन के बारे में चर्चा करनी चाहिए।
ज्यादातर हायङ्क्षरग मैनेजर आपको मौखिक रूप से संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं। उनके छह महीने में रिव्यू या 20 फीसदी गारंटेड बोनस के दावे को मान लेना गलती होगी। अगर फर्म आपको कुछ भी लिखित में देने से मना करती है तो गड़बड़ हो सकती है। Education News In Hindi Patrika