उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने अलवर जिले के किशनगढ़ बास तहसील में कोहरापीपली गांव में 15 एकड़ जमीन दी है। इस संस्थान में अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध केंद्र, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, एवं प्राथमिक से उच्च शिक्षा के साथ खेलकूद जैसी आधुनिक सुविधाएं तैयार की जाएंगी। नकवी ने आगे कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने की पहल के तहत तकनीकी, मेडिकल, आयुर्वेद, यूनानी सहित विश्वस्तरीय रोजगारपरक कौशल विकास की शिक्षा देने वाले संस्थान स्थापित किए जाएंगे। इन शिक्षण संस्थानों में 40 प्रतिशत आरक्षण लड़कियों के लिए किए जाने का प्रस्ताव है।
अलवर में स्थापित किए जा रहे शैक्षणिक संस्थान की पूरी रुपरेखा तैयार करने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारियों एवं मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के सदस्यों की एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। जल्द ही इस संस्थान के निर्माण आदि के सन्दर्भ में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी।
अल्पसंख्यक मंत्रालय ने कमजोर, पिछड़े एवं अल्पसंख्यकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के लिए एक वर्ष पूर्व योजना बनाई थी और इसके लिए पूर्व सचिव अफजल अमानुल्लाह के नेतृत्व में 11 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन की 101वी गवर्निंग बॉडी एवं 57वीं जनरल बॉडी बैठक में अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण की विभिन्न योजनाओं, ‘बेगम हजरत महल बालिका छात्रवृति’, ‘गरीब नवाज कौशल विकास योजना’ तथा अन्य छात्रवृति कार्यक्रमों की विस्तृत समीक्षा की गई।
इस अवसरपर नकवी ने कहा कि मोदी सरकार के ‘बिना तुष्टीकरण के सशक्तिकरण’ के संकल्प का नतीजा है कि पिछले सवा चार वर्षों में विभिन्न छात्रवृति योजनाओं से गरीब, कमजोर अल्पसंख्यक समाज के लगभग तीन करोड़ विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं जिनमे लगभग एक करोड़ 63 लाख छात्राएं शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि मुस्लिम लड़कियों का स्कूल ड्रॉपआउट रेट जो पहले 70-72 प्रतिशत था, वह अब घटकर लगभग 35-40 प्रतिशत रह गया है। हम इसे जीरो प्रतिशत करेंगे।
नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय ने ‘एजुकेशन, एम्प्लॉयमेंट, एम्पावरमेंट’ के संकल्प के साथ काम किया है। पिछले लगभग एक वर्ष में देश भर में मदरसों सहित सभी अल्पसंख्यक समुदाय के हजारों शैक्षिक संस्थानों को ‘टीचर, टिफिन, टॉयलेट’ से जोड़ कर उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल किया गया है।