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खुलासा, विवाह की जगह कॅरियर को तरजीह दे रही हैं लड़कियां

locationनीमचPublished: Feb 24, 2017 11:32:00 am

Submitted by:

santosh

कभी कम उम्र में लड़कियों का विवाह कर दिया जाता था। इस प्रथा को लेकर हमारे देश की आलोचना होती थी। मगर अब तस्वीर बदल रही है। अब युवतियां कम उम्र में विवाह करने की बजाय अपनी शिक्षा और वित्तीय आत्मनिर्भरता को तरजीह दे रही हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के अध्ययन में इसका […]

कभी कम उम्र में लड़कियों का विवाह कर दिया जाता था। इस प्रथा को लेकर हमारे देश की आलोचना होती थी। मगर अब तस्वीर बदल रही है। अब युवतियां कम उम्र में विवाह करने की बजाय अपनी शिक्षा और वित्तीय आत्मनिर्भरता को तरजीह दे रही हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। इससे एक और दिलचस्प बात सामने आई है कि उलटे कुछ पुरुष ही अब शीघ्र विवाह कर रहे हैं। एक रिपोर्ट…
यूनिसेफ की रिपोर्ट

वर्ष 2013 में यूनिसेफ की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि बाल विवाह वैसे तो भारत की कई जातियों में प्रचलित हंै। लेकिन ग्रामीण इलाकों और पिछड़े लोगों में यह समस्या काफी गंभीर है। उसने कहा था कि भारत में आधी लड़कियों का विवाह 18 साल की उम्र से पहले हो जाता है और बिहार, राजस्थान व मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में यह दर काफी अधिक है। रिपोर्ट में इसके लिए गरीबी, दहेज प्रथा और पारिवारिक प्रतिष्ठा जैसी वजहों को जिम्मेदार बताया गया था।
बिहार व मप्र में हालात बेहतर

सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, कभी बेहद पिछड़े समझे जाने वाले बिहार ने इस मामले में हैरानीजनक रूप से प्रगति की है। दस साल पहले जहां राज्य में 18 साल से कम उम्र में विवाह करने वाली युवतियों की तादाद 60 फीसदी थी, वहीं यह अब घटकर 40 फीसदी से भी कम हो गई है। राज्य में कम उम्र में विवाह करने वाले पुरुषों की तादाद में भी गिरावट दर्ज की गई है और यह पिछली बार के 47 फीसदी के मुकाबले 40 फीसदी है। मध्यप्रदेश में 18 से कम उम्र में शादी करने वाली युवतियों और 21 साल से कम उम्र में विवाह करने वाले युवकों की तादाद क्रमश: 30 और 40 फीसदी है, जबकि पिछले सर्वेक्षण में यह क्रमश: 53 और 60 फीसदी थी।
सर्वेक्षण

एनएफएचएस का यह सर्वेक्षण देश के 13 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में किया गया था। ऐसा पिछला सर्वेक्षण वर्ष 2005-06 के दौरान हुआ था। पिछले सर्वेक्षण में गोवा में जहां 25-29 उम्र वर्ग के 7.2 फीसदी युवकों ने 21 साल की उम्र से पहले ही शादी कर ली थी, वहीं ताजा सर्वेक्षण में यह आंकड़ा बढ़ कर 10.6 फीसदी हो गया है। तमिलनाडु और त्रिपुरा में ऐसा ही देखने में आया है। 10 साल पहले तमिलनाडु में जहां 21 साल से कम उम्र वाले 14 फीसदी लोग विवाहित थे, वहीं अब यह तादाद 17 फीसदी पहुंच गई है। पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में भी यह आंकड़ा पिछले सर्वेक्षण के मुकाबले तीन फीसदी बढ़कर 22 फीसदी तक पहुंच गया है। 
अभी ठोस उपाय जरूरी

समाजविज्ञानियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इन आंकड़ों पर खुशी जताई है, लेकिन साथ ही कहा है कि कम उम्र में युवतियों की शादी रोकने के लिए अभी और ठोस उपाय करना जरूरी हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता सोहिनी घोष कहती हैं, ‘बाल विवाह में आई गिरावट से पता चलता है कि युवतियों में जागरूकता बढ़ रही है और वह पहले के मुकाबले अपनी शिक्षा व कॅरिअर के प्रति ज्यादा सचेत हैं। घोष कहती हैं कि यह आंकड़े बताते हैं कि युवतियों में जागरूकता की वजह से कई राज्यों में परंपराएं भी बदलने लगी हैं।
हरियाणा में सुधरे हालात

हरियाणा में भी पिछली बार के मुकाबले हालत सुधरी है। 10 साल पहले जहां राज्य की 40 फीसदी युवतियां 18 साल की उम्र से पहले ही विवाह कर लेती थीं, वहीं यह तादाद घट कर अब 19 फीसदी से भी कम रह गई है। पहले ऐसे पुरुषों की तादाद भी 42 से घट कर 31 फीसदी तक पहुंच गई है।
एक महिला कल्याण संगठन की संयोजक देवलीना गोस्वामी कहती हैं, ‘हालात पहले के मुकाबले बेहतर जरूर हुए हैं। लेकिन इस दिशा में अभी और बहुत कुछ करना बाकी है। इसके लिए सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर साझा कोशिश करनी होगी।

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