रक्षा सेवाओं में महिलाआें की भागीदारी बढाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण् कदम उठाया है। अगले सत्र से सैनिक स्कूलों में पहली बार लड़कियों को भी प्रवेश मिलने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय इसकी पायलट परियोजना के रूप में शुरूआत कर रहा है।
पायलट परियोजना के तहत मिजोरम के छिंगछिप स्थित सैनिक स्कूल में अगले सत्र से लड़कियों को भी प्रवेश देने का फैसला किया है। रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बुधवार को यह जानकारी दी।
भामरे ने बताया कि 2018-19 सत्र से मिजोरम के एक स्कूल से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरूआत की जा रही है।
बता दें कि रक्षा मंत्रालय पहले ही इसकी सैद्धान्ति स्वीकृति दे चुका है। अब इसका क्रियान्वयन शुरू हो रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के दौरान इस मामले में आने वाले दिक्कतों को देखा जाएगा तथा फिर उन्हें दूर कर देश भर के सभी स्कूलों में क्रियान्वयन किया जाएगा।
अभी देश में दो दर्जन सैनिक स्कूल हैं। अभी तक सैनिक स्कूल में लड़कियों को एडमिशन नहीं मिलता है। सैनिक स्कूलों की स्थापना सेना में योग्य अफसरों की कमी दूर करने के मकसद से की गई है। चूंकि अब सैन्य बलों में महिला अधिकारियों की हिस्सेदारी बढ़ रही है तथा वह युद्धक भूमिका में भी जगह पा रही हैं इसलिए सैनिक स्कूलों में भी अब लड़कियों को पढ़ने के मौके मिलेंगे।