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उच्च शिक्षा के लिए बड़े बड़े वादे, और स्कूलों में बिना प्रयोग वैज्ञानिक बनेंगे बच्चे!

Published: Mar 01, 2018 11:57:08 am

Submitted by:

Deovrat Singh

राजधानी के सरकारी स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। स्कूलों में विज्ञान के प्रयोगों के लिए लैब तो है मगर …

govt school rajasthan

govt school rajasthan

राजधानी के सरकारी स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। स्कूलों में विज्ञान के प्रयोगों के लिए लैब तो है मगर उनके हाल ठीक नहीं हैं। अधिकांश स्कूलों में खाली कमरे में लैब चल रही है। लेकिन वहां प्रयोग करने के लिए प्लेटफॉर्म ही नहीं है। प्रयोगशालाओं में सामान तालों में बंद कर रखा जा रहा है। इनमें से अधिकांश सामान कई साल पुराना हो चुका है।
कई उपकरण तो केवल दिखावे के लिए अलमारियों में ताले के भीतर रखा हुआ है। यह हाल राजधानी के लगभग सभी उच्च माध्यमिक स्कूलों के हैं। जिन स्कूलों में प्रयोगशालाओं के हाल बेहाल हैं, उनसे वैज्ञानिक कैसे निकलेंगे।

प्रयोग करने के लिए जगह ही नहीं
राजापार्क, पंचवटी सर्किल स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में फिजिक्स, कैमेस्ट्री, बायलॉजी तीनों की लैब हैं। लेकिन, लैब असिस्टेंट केवल दो ही हैं। तीनों लैब में सामान भी बहुत कम है। साथ ही एक भी लैब में प्रयोग करने के लिए प्लेटफॉर्म नहीं हैं। ऐसे में बच्चों को या तो जमीन पर या टेबल पर प्रयोग करने पड़ रहे हैं।
फंड की कमी पैदा कर रही दिक्कत
विज्ञान संकाय में भौतिकी, रसायन शास्त्र व जीव विज्ञान की प्रयोगशालाएं होना जरूरी हैं। बोर्ड परीक्षा में प्रायोगिक शिक्षा के अलग से नंबर भी दिए जाते हैं। मगर शिक्षा विभाग तीनों प्रयोगशालाओं के लिए सालाना केवल सात हजार रुपए दे रहा है। इसी में उपकरण खरीदने होते हैं और रसायन भी। स्कूलों की मुश्किल यह है कि इतने कम फंड में सालभर कैसे प्रयोगशाला चलाई जाए। इसी कारण अधिकांश स्कूलों में छात्रों से लिए जाने वाले शुल्क में से लैब का सामान खरीदा जा रहा है।
65 फीसदी स्कूलों में लैब नहीं
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में करीब 65 फीसदी स्कूल हैं, जहां विज्ञान संकाय तो हैं मगर प्रयोगशाला के लिए कोई स्थान ही नहीं है। जिन स्कूलों में प्रयोगशालाएं हैं, वहां भी प्रयोगशाला सहायक नहीं हैं। इस कारण उनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।
प्रयोगशाला सहायक भी नहीं
प्रदेश में जिन 35 फीसदी स्कूलों में प्रयोगशालाएं हैं, वहां भी प्रयोगशाला सहायक नहीं होने के कारण प्रयोग नहीं हो पा रहे हैं। प्रदेशभर में प्रयोगशाला सहायकों के 70 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त पड़े हुए हैं।
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