आपको बता दें फर्स्ट ग्रेड में डीईओ,डीईईओ व डाइट प्रिंसिपल आते हैं। सेकेंड रैंक में प्रिंसिपल, डिप्टी डीईओ, लेक्चरर, हेडमास्टर व बीईओ और थर्ड रैंक में जेबीटी व पीजीटी आते हैं। मिले आदेश के अनुसार शिक्षकों से जमीन, नकदी, ज्वेलरी व कार से लेकर घर के इलेक्ट्रानिक सामान की पूरी जानकारी मांगी गई है। इसके लिए निदेशालय ने दो पेज का चल और अचल संपत्ति के लिए अलग-अलग प्रपत्र भी जारी किया है। शिक्षकों को निर्धारित कालम को भरते हुए पूरी जानकारी देनी होगी। आपको बता दें प्रदेश के स्कूलों में करीब 2.70 लाख का स्टाफ है।
फर्स्ट, सेकेंड व थर्ड रैंक के टीचर्स को संपत्ति का ब्योरा देने का नियम प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2015 में बनाया था, लेकिन टीचर्स ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। नियम के अनुसार टीचर्स को अपनी सालाना प्रॉपर्टी पर रिटर्न भरना होता है, लेकिन शिक्षकों ने 2015 के बाद से प्रॉपर्टी का रिटर्न नहीं भरा। इस कारण अब शिक्षा निदेशालय ने उनका जून का वेतन रोकते हुए प्रॉपर्टी की जानकारी मांगी है।
सरकार ने शिक्षकों से जो जानकारी मांगी है उसमें स्थायी भूमि के सारे हित, स्वामित्व, पैतृक तौर पर प्राप्त जमीन की जानकारी के अलावा कैश, ज्वैलरी, डिपॉजिट, इंश्योरेंस पॉलिसी, शेयर, सिक्योरिटी, लॉन और एडवांस सहित कितनी मोटरसाइकिल, गाडिय़ां, घोड़े, रेफ्रिजरेटर व रेडियोग्राम सहित अन्य इलैक्ट्रानिक सामान जैसे फ्रिज, कूलर व एसी आदि चीजें शामिल है। शिक्षा निदेशालय का पत्र मिलने के बाद जिला शिक्षा अधिकारियों ने इसे खंड शिक्षा अधिकारियों को भेज दिया है।