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टूटने के बाद भी, स्कूल जाने में बच्चों की मदद कर रहा है यह पुल

Published: Jul 12, 2018 10:12:35 am

गुजरात के खेड़ा जिले की मातर तहसील के नायका-भेराई गांव के बीच स्थित केनाल का पुल टूटने के कारण लोगों को विशेषकर विद्यार्थियों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

Collapsed Bridge

Collapsed Bridge

गुजरात के खेड़ा जिले की मातर तहसील के नायका-भेराई गांव के बीच स्थित केनाल का पुल टूटने के कारण लोगों को विशेषकर विद्यार्थियों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह हैं कि नहर के पिलरों पर पैर रखकर नहर पार करनी पड़ती है। अकेले बच्चे तो पिलरों को पकड़कर भी पार नहीं कर पाते हैं, ऐसे में नहर पार करने के लिए बच्चों को घंटों तक किसी के आने का इंतजार करना पड़ताहै।

दो महीने से नहीं हुआ मरम्मत कार्य
जानकारी के अनुसार नायका एवं भेराई गांव के बीच मात्र दो किलोमीटर का अंतर है। इन दोनों गांवों को जोडऩे के लिए केनाल पर छोटा पुल बनाया गया था, लेकिन दो महीने पूर्व वह पुल टूटने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

केनाल में बहता पानी नहीं रुकने से अटका निर्माण कार्य
इस केनाल पर पुल बनाने का कार्य मंजूर हो गया है, लेकिन केनाल में बारेजा एडिकेशन सिंचाई विभाग की ओर से केनाल में बहता पानी बंद नहीं होने के कारण पुल के मरम्मत का कार्य अटका है। मातर के कार्यपालक अभियंता डी. बी. हळपति के अनुसार पुल बनाने के लिए दो बार डायवर्जन बनाना गया, लेकिन धरोई डेम से आने वाला पानी बंद नहीं होने के कारण पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं कर सकते। पानी बंद होने के बाद निर्माण कार्य तेजी से हो सकता है। नायका गांव की सरपंच सविताबेन परमार के अनुसार सिंचाई विभाग की ओर से केनाल में पानी बंद नहीं करने से केनाल पर पुल बनाने का कार्य अटका है। केनाल में फैक्ट्रियों का केमिकलयुक्त पानी छोड़ा जाता है, ऐसे में किसानों के लिए भी यह पानी काम का नहीं है।

10 किलोमीटर के फेर से बचने के लिए डालते हैं जान को जोखिम
केनाल पर बने पुल से भेराई गांव के बच्चे नायका गांव के स्कूल में पढऩे जाते थे और नायका गांव के 250से अधिक किसान भेराई गांव की सीमा में स्थित अपने खेतों पर जाते थे, लेकिन पुल टूटने के कारण विद्यार्थी व किसानों को
परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यूं तो दूसरा रास्ता भी है दोनों गांवों को जोडऩे का, लेकिन उस रास्ते से करीब 10 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है, ऐसे में 10 किलोमीटर से बचने के लिए छात्र जान जोखिम में डालकर पिलरों के सहारे नहर को पार करते हैं। नहर में केमिकलयुक्त पानी बहता है, ऐसे में यदि हाथ छूट जाए तो हादसा हो सकता है। रोजाना पशुओं को घास-चारा लाने में भी किसानों को परेशानियां होती हैं। वजन के साथ किसानों को नवागाम होकर करीब 10 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। दूसरी ओर, पुल टूटने के कारण एसटी सेवा भी
बंद हो गई है।

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