रोज-रोज आतंकी हमले से जूझने वाली सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए भी इस तरह के एक ऑपरेशन की जरूरत थी। हालांकि भारत को यह भी अंदाजा है कि पाकिस्तान में भारत की इस कार्रवाई का जवाब देने का दबाव बढ़ जाएगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकेला पड़ता जा रहा पाक बौखलाहट में कोई भी गलत कदम उठा सकता है। माना जा रहा है कि पाक के जवाबी हमले की आशंका के मद्देनजर भारत ने पहले से ही अपनी तैयारी पुख्ता कर रखी है और तमाम पहलुओं पर विचार के बाद ही यह कदम उठाया गया है।
जनता में भी बढ़ा विश्वास नरेश चंद्रा कहते हैं कि इस तरह की कार्रवाई बहुत जरूरी थी। आम जनता और सेना के मनोबल के लिए भी यह जरूरी था। सबसे बड़ी बात पाकिस्तान को आतंकवाद पर कूटनीतिक तरीके से अलग-थलग करने की भारत की रणनीति कामयाब रही। भारत की विदेश नीति में आतंकवाद बड़ा मुद्दा बन चुका है। हर मंच से भारत सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाता रहा है। हाल में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से भी इस मुद्दे को उठाया था, जिसमें पाक पीएम नवाज शरीफ को मुंह की खानी पड़ी है।
पाक का कोई भी कदम उसके खिलाफ पाक मामलों के जानकार विवेक काटजू के अनुसार, इस कार्रवाई से भारत ने पाक के सामने लक्ष्मण रेखा खींच दी है। हो सकता है कि पाक बौखलाहट में कुछ कदम उठाए, मगर अब उसका कोई भी गड़बड़ कदम उसके खिलाफ जा सकता है। भारत ने सख्त कार्रवाई की भूमिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही तैयार कर ली थी।
कूटनीतिक विरोध जता सकता है पाक नरेश चंद्रा कहते हैं कि इस हमले के बाद पाक प्रतिक्रिया करेगा ही। उसे अपनी जनता को जवाब देना है। पाक सरकार अपनी साख बचाने के लिए अक्सर सेना और आईएसआई का दामन थामती रही है, क्योंकि वहां की सरकारें मजबूत स्थिति में नहीं रही हैं। सेना और खुफिया एजेंसी का वहां दबदबा रहा है। मगर, जैसा कि हमारी सेना कह रही है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में उन्हें पहले ही बता दिया गया था, इसलिए पाक आर्मी ज्यादा से ज्यादा इतना कर सकती है कि एलओसी पर फायरिंग करे। कूटनीतिक स्तर पर पाक विरोध भी दर्ज करा सकता है।