इस भाग में उच्च माध्यमिक स्तर की व्याकरण समाहित है। इसके लिए कक्षा 8वीं से लेकर 9वीं में समाहित पाठ्यक्रम का अध्ययन करना उपयोगी हो सकता है। इस पाठ्यक्रम में कुछ टॉपिक अहम रूप से शामिल हैं, जैसे – Synonyms, Antonyms, spellings, word formation, one word, tenses, part of speech, determiners, degree of comparison, framing questions, narration, voice, sounds and phonetic symbols, unseen prose passage और Teaching Method आदि। ध्यान रखें कि विशेष रूप से इसमें व्याकरण का अध्ययन करें। इससे अंग्रेजी के अहम टॉपिक को बारीकी से समझ सकते हैं।
आधुनिकता के दौर में पारंपरिक शिक्षण विधियों में कई महत्त्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। यह बदलाव सामाजिक, सांस्कृतिक और तकनीकी विकास द्वारा लाया गया है। इन दिनों पांच अलग-अलग विधियां शिक्षकों द्वारा अपनाई जाती हैं- दी अथॉरिटी स्टाइल, दी डेलीगेटर स्टाइल, दी फैसिलिटेटर स्टाइल, दी डेमॉन्स्ट्रेटर स्टाइल और दी हाइब्रिड स्टाइल। इनसे जुड़े प्रश्न परीक्षा में पूछे जा सकते हैं।
भाषा प्रथम की तुलना में भाषा द्वितीय का पाठ्यक्रम काफी कम है। इस भाग में अधिकतर स्मरण शक्ति पर आधारित विषय वस्तु समाहित प्रश्न पूछे जाते हैं। भाषा द्वितीय में पाठ्यक्रम में कुछ विशेष टॉपिक शामिल हैं। जैसे – unseen prose passage, linking devices, subject verb concord, inferences, unseen poem, modals, idioms and phrases, sounds and phonetic symbols, identification of alliteration, simile, metaphor, personification, assonance, rhyme, literary terms- elegy, sonnet, short story, drama के अलावा Teaching Method के अहम बिंदु भी समाहित हैं। जिन प्रतिभागियों की व्याकरण पर अच्छी पकड़ है, वे भाषा प्रथम का चयन कर सफलता पा सकते हैं। जबकि भाषा द्वितीय में पाठ्यक्रम काफी कम है व स्मरण शक्ति पर आधारित विषय वस्तु है। नियमित प्रेक्टिस से तैयारी को मजबूत कर सकते हैं।