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उच्च शिक्षा में है सुधार की आवश्यकता : वेंकैया

locationजयपुरPublished: Sep 28, 2018 04:58:26 pm

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को समकालीन आवश्यकताओं के साथ देश में उच्च शिक्षा को सुधारने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि अवांछित प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए।

venkaiah naidu

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उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को समकालीन आवश्यकताओं के साथ देश में उच्च शिक्षा को सुधारने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि अवांछित प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए। नायडू ने गोवा के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के चौथे दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा – मैं समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप हमारी उच्च शिक्षा को सुधारने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देना चाहता हूं। हम हर साल बुनियादी नियोक्ता कौशल के बिना स्नातक होने वाले लाखों इंजीनियरिंग छात्रों को जारी नहीं रख सकते हैं। इस अवांछित प्रवृत्ति को रोकना होगा। उन्होंने कहा, हमारे विश्वविद्यालयों को उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाने और शिक्षण पद्धतियों में सुधार करने की आवश्यकता है। मुझे यह भी लगता है कि इंजीनियरिंग छात्रों को हर साल कुछ हफ्तों के लिए इंटर्न के रूप में काम करने के अनुरूप बनाया जाना चाहिए ताकि उन्हें पहले अनुभव प्राप्त हो सके।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि गरीबी, निरक्षरता, बीमारियां, किसानों के संकट और महिलाओं और कमजोर वर्गों पर अत्याचार, बाल श्रम, आतंकवाद, सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार जैसी सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन कर एक नया और पुनरुत्थान भारत बनाया जाना चाहिए। उन्हें देश के युवाओं से इस काम में सबसे आगे आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा – अल्पकालिक या स्वार्थी लाभ के लिए प्रलोभनों की ओर कभी ध्यान न दें। हमेशा उच्च नैतिक और नैतिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहें। स्वतंत्रता प्राप्त करने के 71 साल बाद भी, हम कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं जिन्हें सभी जागरूक नागरिकों को एकसाथ मिलकर मुकाबला करना है। नायडू ने कहा कि ईमानदारी, सहानुभूति, धैर्य और आत्म विश्वास से छात्र अपने सपनों को साकार करने में सक्षम हो पायेंगे। उन्होंने कहा कुछ भी प्राप्त करना असंभव नहीं है लेकिन इसके लिए सही पथ का चुनाव आवश्यक है।
सिर्फ भारतमाता की तस्वीरें लेकर कोई देशभक्त नहीं हो जाता

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि यदि कोई धर्म, क्षेत्र या भाषा के आधार पर भेदभाव करता है, तो केवल ‘भारत माता’ की तस्वीरें लेकर वह देशभक्त नहीं बन सकता है। उन्होंने कहा – देशभक्ति का मतलब केवल यह नहीं है कि भारतमाता की केवल तस्वीर ले लें और दूसरों व जरूरतमंदों के साथ दुर्व्यवहार करें। आपको हर किसी के साथ प्यार-स्नेह के साथ व्यवहार करना होगा, तभी आप देशभक्त कहलाएंगे। नायडू ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में एक समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा – अगर आप धर्म, क्षेत्र या भाषा के आधार पर लोगों से भेदभाव करते हैं तो आप राष्ट्रवादी नहीं हैं। नायडू ने कहा कि यह भारत की विशेषता है। अलग-अलग जाति, संप्रदाय, लिंग, धर्म और क्षेत्र के बावजूद भारत एक है। एक राष्ट्र, एक लोग, एक देश… यह सोच आप सभी की होना चाहिए। यही देशभक्ति है।
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