उन्होंंने कहा कि शिक्षा, ज्ञान और सांस्कृतिक अभ्युदय के बल पर ही देश ‘जगद्गुरू’ बन सकता है। राज्यपाल ने कहा कि बिहार को पुन: शिक्षा के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में विकसित करते हुए अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में गौरवशाली नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है, जिसके संचालन में केन्द्र और राज्य सरकार सहित विश्व के कई देशों का सहयोग मिल रहा है। पटना विश्वविद्यालय को भी आधुनिक शिक्षा के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए हर संभव प्रयत्न किया जाना चाहिए।
विश्वविद्यालयों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए
उन्होंने कहा कि सहस्त्राब्दियों पूर्व भारत जिस तरह शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में पूरी दुनिया को रोशनी दिखाते हुए अपना मार्ग-दर्शन प्रदान कर रहा था, उसी गरिमा को आज पुन: हासिल करने की जरूरत है। टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में शैक्षणिक विकास में शिक्षकों एवं छात्रों की समन्वित सहभागिता हो, साथ ही विश्वविद्यालय समाज के प्रति भी जवाबदेह हों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के माध्यम से समाज में संरचनात्मक परिवर्तन हो, यह विश्वविद्यालयों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका
उन्होंने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा के विकास के लिए तेजी से प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि इन प्रयासों को और गति दी जाएगी। राज्य सरकार और राजभवन केन्द्र सरकार के सहयोग से समन्वयपूर्वक उच्च शिक्षा के विकास के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। राज्यपाल ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद, देश में गुणवत्तापूर्ण और नैतिक मूल्यों पर आधारित उच्च शिक्षा के विकास के अभाव में सामाजिक विषमता और वैचारिक भटकाव की स्थिति बन गई थी, जिसकी वजह से अनेक तरह के अपराधों और अनैतिक कार्य बढ़ चले थे। संस्कारों के समुचित विकास नहीं हो पाने की वजह से महिलाओं के प्रति सम्मान-भावना में कमी आई जबकि भारतीय संस्कृति सदैव नारी-सम्मान के प्रति सजगता की प्रेरणा देती रही है। स्थितियों में हाल के वर्षों में सुधार नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि वस्तुत: सामाजिक अराजकता और अपराध की भावना से उबरने में शिक्षा की बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षा से ही हमारे संस्कारों का परिमार्जन होगा। हमारी नैतिकता और संवेदनशीलता विकसित होगी।