दिव्या गोकुलनाथ ने कहा कि शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य छात्रों के अंदर पढ़ाई के प्रति प्रेम और लगाव विकसित करना है। बच्चे एक्टिव लर्नर बनें और उनकी सीखने की यात्रा सतत चलनी चाहिए। कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह वर्क फ्रॉम होम का कल्चर विकसित हुआ है, उससे सभी भौतिक बाधाएं खत्म हो गई हैं। अब आप जो भी सीखना चाहें, घर बैठे आसानी से वर्चुअली सीख सकते हैं।
सामाजिक बेडिय़ों को पार करना होगा-
कामकाजी महिलाओं, अपना स्टार्टअप या बिजनेस शुरू करने की चाहत रखने वाली लड़कियों को सफल होने और सफलता को एंजॉय करने के लिए काम, पढ़ाई और व्यक्तिगत जीवन में सामंजस्य बैठाना सीखना होगा। एंटरप्रेन्योरशिप की महत्वाकांक्षा रखने वाली छोटे शहरों और गांव की महिलाओं के सामने सामाजिक बेडिय़ां खड़ी हो जाती हैं। हमें इन रुकावटों को पार करना होगा।
सीनियर लेवल पर गिनी-चुनी महिलाएं-
कॉरपोरेट जगत में सीनियर लेवल पर कम महिलाएं हैं, जिससे दूसरी महिलाएं इन्हें देखकर प्रेरित नहीं हो रहीं। हालांकि निवेशक अब महिलाओं की ओर से शुरू किए गए बिजनेस के लिए जगह बना रहे हैं।
खुद पर भरोसा करे΄
महिलाओं की एंटरप्रेन्योरशिप जर्नी के लिए उनके सामने महिला रोल मॉडल का होना बहुत जरूरी है, जो उन्हें प्रेरित करें। सफल होने के लिए महिलाओं को सबसे पहले खुद पर भरोसा करना होगा, तभी उन पर दूसरे भी भरोसा कर पाएंगे। भारत में इतनी क्षमता है की वह पूरी दुनिया के लिए महिला उद्यमी तैयार सकता है, जैसा हमने सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में किया है।