पॉलिश रोजाना का एक ऐसा काम है कि हम कभी भी उसके बारे में ज्यादा नहीं सोचते। वैसे इस सवाल का जवाब एकदम सरल नहीं है। चमड़े की सतह ऊबड़-खाबड़ होती है और उसके ऊपर छोटे-छोटे बाल भी होते हैं। चमड़े पर गड्ढों का माप इतना छोटा होता है कि उसकी तुलना प्रकाश की तरंग लंबाई से की जा सकती है। इसलिए प्रकाश उन्हें देख सकता है और उनसे अलग-अलग दिशाओं में छिटक जाता है। इस कारण चमड़े की सादा सतह अनाकर्षक लगती है। पॉलिश और ब्रुश से सतह का ऊबड़-खाबड़पन खत्म हो जाता है और प्रकाश सपाट सतह पर पड़ता है। परावर्तन के नियमों के कारण चमड़े की चिकनी सतह अब दर्णण जैसी दिखने लगती है।
जब आप एक सपाट स्टूल पर बैठते हैं तो आपका सारा भार एक छोटे से क्षेत्रफल पर पड़ता है। कुर्सी की अवतल सीट आपके वजन को कुछ बड़े क्षेत्रफल में फैला देती है। दूसरे शब्दों में इकाई क्षेत्रफल पर दबाव कम पड़ता है। जब हम गुदगुदे बिस्तर पर लेटते हैं तो हमारे शरीर के सभी ऊंचे-नीचे हिस्से गद्दे में धंसते हैं। इससे हमारे शरीर का भार बराबर बंट जाता है और पूरे क्षेत्र पर दबाव कम पड़ता है। इसीलिए जालीदार पालनेुमा झूले (हैमक) या नरम बिस्तर पर लेटने में हमें आराम मिलता है।
सिर के एकदम ऊपर का आसमान ज्यादा नीला इसलिए दिखता है क्योंकि वायुमंडल में हवा की ऊपर की परतों में ओजोन मौजूद होती है। ओजोन द्वारा प्रकाश का सबसे ज्यादा सोखा जाना वर्णक्रम के लाल सिरे पर होता है और सबसे कम नीले सिरे पर। जब सूर्य क्षितिज से थोड़ा-सा नीचे डूबता है, तब ओजोन परत में से सूरज की रोशनी के पथ की लंबाई सबसे अधिक उच्च बिंदु पर होती है। इसके परिणामस्वरूप उसमें लाल प्रकाश की सबसे अधिक कमी आ जाती है और आसमान गहरा नीला नजर आता है।