शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा, “जेईई परीक्षा में शामिल होने वाला कोई विद्यार्थी यदि अपनी परफॉर्मेस से संतुष्ट न हो तो उसके पास परीक्षा में शामिल होने का विकल्प होगा। पहली बार परीक्षा देने के बाद छात्र को एक अनुभव प्राप्त होगा। दूसरी परीक्षा में वह अपनी गलतियों को नहीं दोहराएगा, जिससे छात्र का अंक सुधर सकता है।”
इसके अलावा, जेईई परीक्षाओं को वर्ष में चार बार करने का निर्णय इसलिए भी लिया गया है, ताकि अलग-अलग समय पर होने वाली विभिन्न राज्यों की बोर्ड परीक्षाएं जेईई (मेन) परीक्षा के आयोजन में बाधा पैदा न करें। शिक्षा मंत्रालय ने बोर्ड परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को इस प्रकार के विशेष प्रावधान रखने का निर्देश दिया था।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंक ने कहा, “अभ्यर्थी आगामी सत्रों के लिए, एक सत्र के परिणाम के बाद अपना आवेदन वापस भी ले सकेंगे। इस स्थिति में, आगामी सत्रों के लिए जमा किया शुल्क, एनटीए द्वारा वापस किया जाएगा। इसके अलावा अभ्यर्थी आगामी सत्रों के लिए, एक सत्र के परिणाम के बाद, अपना सत्र बदल भी सकते हैं।”
गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखकर, वर्ष 2021 में जेईई (मेन) परीक्षा पहली बार हिंदी, अंग्रेजी, असमिया, बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगू और उर्दू भाषा में आयोजित की जाएगी।
एनटीए ने पाठ्यक्रम में संशोधन के संबंध में देशभर में विभिन्न बोर्डो द्वारा लिए गए विभिन्न निर्णयों को ध्यान में रखकर, यह निश्चय किया है कि प्रश्नपत्र में 90 प्रश्न होंगे, जिनमें से उम्मीदवार को कुल 75 प्रश्न ही हल करने होंगे।