पुलिस ने हालांकि 100 से ज्यादा विद्यार्थियों को पकड़ा था, लेकिन 10 विद्यार्थियों को हिरासत में रखकर बाकी को रिहा कर दिया गया था। मणिपुर विश्वविद्यालय में हुई पुलिस की कार्रवाई में छात्रावास में रह रहे छात्र भी घायल हुए थे। विश्वविद्यालय के छात्र और अध्यापक संगठनों ने छात्रों पर प्रोफेसरों पर हुई इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया है। छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों ने शनिवार को विश्वविद्यालय परिसर पर सुरक्षाकर्मियों की कार्रवाई और इस मामले में केंद्र सरकार के रवैये की निंदा की। पूर्व मुख्यमंत्री ओ. इबोबी ने कहा है यह तानाशाही के सिवाय और कुछ नहीं है।
पूर्व उप मुख्यमंत्री गईखनगम ने कहा है कि इस तरह की कार्रवाई आपातकाल से ज्यादा खतरनाक है। विश्वविद्यालय में वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप में कुलपति ए. एस. पांडेय को हटाने की मांग लेकर आंदोलन किया गया था जिसके बाद संस्थान ने उनके खिलाफ जांच के आदेश देकर और उन्हें निलंबित कर छुट्टी पर भेज दिया गया था। प्रोफेसर पांडेय के खिलाफ जांच शुरू हो गई थी और उन्हें समिति के सामने पेश होने का आदेश दिया गया था। प्रोफेसर पांडेय ने अपने निलंबन और छुट्टी पर जाने के बाद एक रजिस्ट्रार और प्रति उपकुलपति की नियुक्ति कर दी।
कुलपति अपने निलंबन के दौरान प्रति उपकुलपति की नियुक्ति नहीं कर सकता। इसी तरह रजिस्ट्रार की नियुक्ति भी छुट्टी पर रहते हुए नहीं की जा सकती। विश्वविद्यालय को तीन महीने तक बंद करने के बाद यहां माहौल शांत हो गया था लेकिन केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने प्रोफेसर पांडेय द्वारा नियुक्त दोनों अधिकारियों को अपना पदभार ग्रहण करने का निर्देश दे दिया। पुलिस द्वारा कुलप्रति के कार्यालय की सील तोडऩे के बाद प्रोफेसर के. युगिंद्रो ने प्रति कुलपति का पदभार ग्रहण कर लिया था लेकिन विश्वविद्यालय के छात्र और कर्मचारी प्रोफेसर पांडेय के खिलाफ जांच पूरी होने तक उनके कार्यालय को सील रखे जाने के पक्षधर थे ताकि दस्तावेज के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न हो। रजिस्टार प्रोफेसर एम. श्यामकेशो ने भी पदभार ग्रहण कर लिया। प्रति उपकुलपति का कहना है कि उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर पदभार ग्रहण किया है।