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चरित्र निर्माण के साथ ज्ञान का भी केंद्र बने मुंगेर विश्वविद्यालय : नीतीश

locationजयपुरPublished: Dec 03, 2018 02:06:32 pm

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि मुंगेर विश्वविद्यालय चरित्र निर्माण के साथ ही ज्ञान का केंद्र बने तो यह एक विशिष्ट विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाएगा।

Nitish Kumar

Nitish Kumar

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि मुंगेर विश्वविद्यालय चरित्र निर्माण के साथ ही ज्ञान का केंद्र बने तो यह एक विशिष्ट विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाएगा। कुमार ने राजा देवकी नंदन एंड डायमंड जुबली कॉलेज परिसर में मुंगेर विश्वविद्यालय के नवनिर्मित प्रशासनिक भवन के शिलापट्ट का अनावरण करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, मुंगेर विश्वविद्यालय चरित्र निर्माण के साथ-साथ ज्ञान का केंद्र बने तो यह एक विशिष्ट विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाएगा। तब मैं आपके विश्वविद्यालय का प्रशंसक बनजाऊंगा और यह एक विशिष्ट रूप में स्थापित हो जाएगा। मुझे उम्मीद है कि लोग विश्वविद्यालय का लाभ उठा पाएंगे और इसके अधीन महाविद्यालयों का विस्तार होगा। ज्यादा से ज्यादा संख्या में यहां छात्र पढऩे आएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुंगेर दानवीर कर्ण की भूमि है। यहां दुनिया का प्रसिद्ध योग पीठ है। यह ऐतिहासिक स्थल है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि मुंगेर विश्वविद्यालय को इस तरह से बनाया जाए कि इसमें शिक्षा की व्यापक भूमिका हो और ऐतिहासिकता की भी झलक हो। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि महाविद्यालय को स्वायत्तता मिले। सरकार विश्वविद्यालय की स्वायत्तता में हस्तक्षेप नहीं करती, बल्कि सलाह देती है।

एक प्रतिशत से कम बच्चे स्कूलों से बाहर
उन्होंने कहा कि शिक्षा का विस्तार हो, शिक्षा का अर्थ सिर्फ कागजी पढ़ाई नहीं है बल्कि इसका व्यापक अर्थ है। विश्वविद्यालय इसकी व्यापकता के प्रति लोगों को जागरुक बनाए। नवंबर 2005 में बिहार में उनकी सरकार बनने के बाद एक सर्वेक्षण में पाया गया कि साढ़े बारह प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर थे। सरकार ने इस कार्य को चुनौती के रूप में लिया और इस दिशा में कई कार्य किए गए। 22 हजार से ज्यादा प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण करवाया गया। कई विद्यालयों को उत्क्रमित कराया गया। तीन लाख से ज्यादा शिक्षकों का नियोजन किया गया। उन्होंने कहा कि सर्वे में यह भी सामने आया कि ज्यादातर बच्चे अल्पसंख्यक और महादलित समुदाय के हैं, जो स्कूल नहीं जा पा रहे थे। उनके लिए तालिमी मरकज और टोला सेवकों की बहाली की। इन सब प्रयासों की बदौलत अब एक प्रतिशत से भी कम बच्चे स्कूलों से बाहर हैं।

बदली लोगों की मानसिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2007 में लड़कियों के लिए पोशाक योजना चलाई गई, जिससे मध्य विद्यालयों में पढऩे वाली छात्राओं की संख्या बढ़ी। साइकिल योजना की शुरुआत के पूर्व नौवीं कक्षा में पढऩे वाली छात्राओं की संख्या एक लाख 70 हजार के करीब थी, लेकिन इस योजना की शुरुआत के बाद यह संख्या नौ लाख के करीब पहुंच गई है। उन्होंने कहा किलड़कियों के समूह में साइकिल चलाकर स्कूल जाने से समाज का दृश्य बदला और लोगों की मानसिकता भी बदली।

प्रत्येक पंचायत में खुलेगा 10+2 स्कूल
उन्होंने कहा कि हमलोगों ने प्रत्येक पंचायत में एक प्लस-टू उच्च विद्यालय खोलने का फैसला किया है। इसके लिए अब तक एक हजार से अधिक विद्यालयों को मंजूरी दी गई है। वर्ष 2015 में जब आंकलन कराया गया तो पता चला कि इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने वाली लड़कियों का देश भर में औसत प्रजनन दर 1.7 था जबकि इन लड़कियों का बिहार में यह दर 1.6 था। सरकार की अवधारणा बनी कि लड़कियों को उच्च शिक्षित कर बिहार में प्रजनन दर को कम किया जा सकता है। बिहार का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 13.9 प्रतिशत है जबकि देश का 24 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने यह निर्णय लिया है कि राज्य का जीईआर कम से कम 30 प्रतिशत तक पहुंचे। इसके लिए जरूरी है कि छात्र-छात्राएं इंटरमीडिएट के बाद आगे की पढ़ाई करें। चाहे वह तकनीकी क्षेत्र हो या स्नातक हो अथवा स्नातकोत्तर की डिग्री हो, सभी क्षेत्र में पढ़ाई करें।

तो, सरकार करेगी मदद
मुख्यमंत्री ने अभिभावकों से बच्चों को अवश्य आगे पढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षा वित्त निगम के माध्यम से चार प्रतिशत साधारण ब्याज दर पर तथा लड़कियों, दिव्यांगों एवं ट्रांसजेडरों के लिए एक प्रतिशत की साधारण ब्याज दर पर चार लाख रुपए तक के स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था की है। उन्होंने आगे कहा कि छात्र-छात्राएं रोजगार प्राप्त करने के बाद यह राशि लौटाएंगे, लेकिन यदि लौटाने में उन्हें कोई परेशानी होगी तो सरकार इसे माफ भी कर सकती है।

खुलेंगे पांच मेडिकल कॉलेज
कुमार ने कहा कि राज्य में पांच नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा रही है। सभी मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग की पढ़ाई होगी। नर्सिंग का कोर्स करने वालीं प्रदेश की लड़कियों को आसानी से रोजगार मिल सकेगा। प्रत्येक जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज, पारा मेडिकल संस्थान, महिलाओं के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई), जीएनएम संस्थान की स्थापना की जा रही है। साथ प्रत्येक अनुमंडल में आईटीआई स्कूल एवं एएनएम स्कूल खोले जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई संस्थानों का निर्माण कराया जा रहा है। बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज को अपग्रेड कर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) बनाया गया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) एवं निफ्टकी स्थापना की गई। बीआईटी मेसरा की शाखा खुली। इसके लिए जमीन उपलब्ध कराई एवं राशि का भी सहयोग दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्यभट्ट की कर्मभूमि पटना के आस पास ही रही है। उन्होंने शून्य का आविष्कार किया। उन्होंने ही पृथ्वी का व्यास बताया था। उनके नाम पर आर्यभट्ट ज्ञानविश्वविद्यालय की स्थापना की गई। यह अपने आप में विशिष्ट विश्वविद्यालय है। यहां मेडिकल, इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ नैनो टेक्नोलॉजी, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, इन्वॉयरमेंट साइंस, रीवर स्टडी सिस्टम, ज्योग्राफिक्ल स्टडी सेंटर, मास कम्युनिकेशन एवं एस्ट्रोनॉमी का भी अध्ययन होगा। उन्होंने कहा कि नॉलेज के व्यापक स्वरूप को यहां स्थापित करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि समस्तीपुर के पूसा स्थित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनवाया गया। सबौर कृषि विश्वविद्यालय एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापनाकी गई।

फिर से नालंदा यूनिवर्सिटी को कर रहे रिवाइव
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कई तरह के संस्थानों का निर्माण कराया है ताकि बिहार में हर विषय की पढ़ाई हो सके। नालंदा विश्वविद्यालय का फिर से रिवाइवल कराया जारहा है, जो सुपर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के रूप में उभरेगा, यह फिर से ज्ञान का केंद्र बनेगा। विक्रमशिला विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित किया जाना है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग की स्थापना की गई है ताकि शिक्षकों की कमी दूर की जा सके।

होगी 4 हजार शिक्षकों की बहाली
उन्होंने कहा, बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से चार हजार विश्वविद्यालय शिक्षकों की बहाली होनी है, जिनमें से 1600 का चयन किया गया है और शेष के लिए भी प्रक्रिया जारी है। कुमार ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पर्यावरण के प्रति सचेत करते हुए कहा था कि पृथ्वी लोगों की जरुरतों को पूरा कर सकती है, उनके लालच को नहीं। गांधी जी ने ही सात सामाजिक पापों की चर्चा की थी। इसके बारे में उन्होंने कहा था कि सिद्धांत के बिना राजनीति, काम के बिना धन अर्जन, विवेक के बिना सुख, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना व्यापार, मानवता के बिना विज्ञान और त्याग के बिना पूजा सामाजिक पाप है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता के सात सामाजिक पाप और पर्यावरणीय संदेश को सभी सरकारी संस्थानों एवं विद्यालयों में अंकित करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे मुंगेर विश्वविद्यालय के नवनिर्मित प्रशासनिक भवन में अंकित कराया जाए। इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। यदि 10 प्रतिशत लोग भी इससे प्रेरित हो गए तो समाज बदल जाएगा।

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