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एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दो-तीन बार नीट अटैम्प्ट कर चुके स्टूडेंट्स जिनके मार्क्स 400 से कम है, उनके सामने दो ऑप्शन रहते हैं। पहला तो ऐसे स्टूडेंट्स ईस्ट और साउथ इंडिया के कुछ अच्छे प्राइवेट कॉलेज हैं, जहां स्टडी के लिए अच्छे एनवायर्नमेंट के साथ एनुअल फीस भी करीब 7-8 लाख रुपए है। इन कॉलेजेज में एडमिशन लेकर एमबीबीएस किया जा सकता है। वहीं दूसरा आप्शन है मेडिसिन फील्ड को छोडक़र बायो टेक्नोलॉजी, सेल्यूलर बायोलॉजी, माइक्रो बायोलॉजी और एग्रीकल्चर जैसे फील्ड्स में कॅरियर बनाना। इन फील्ड्स में आने वाले टाइम में अच्छा कॅरियर स्कोप होगा।
फील्ड चेंज भी बन सकता है ऑप्शन
एक्सपर्ट आशीष अरोरा के अनुसार, वैसे तो नीट के लिए ऐज लिमिट 25 साल है, लेकिन अगर दूसरे अटैम्प्ट तक 400 से 450 मार्क्स स्कोर नहीं हो पा रहे हैं, तो आगे भी स्कोर बहुत ज्यादा होने की उम्मीद कम ही रहती है। ऐसे स्टूडेंट्स मेडिसिन फील्ड चेंज कर सकते हैं, या प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं। वहीं अगर फर्स्ट या सैकंड अटैम्प्ट में मार्क्स 450 के आस-पास हैं, तो ड्रॉप करना अच्छा ऑप्शन रहता है। ऐसे कैंडिडेट्स अपनी पिछली कमियों को दूर करते हुए तैयारी करें, तो 150 मार्क्स बढ़ सकते हैं और 560 मार्क्स पर गवर्नमेंट कॉलेज मिल सकता है।
प्री पीजी का माहौल नहीं
एक्सपर्ट आशीष अरोरा का कहना है कि प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेकर एमबीबीएस कोर्स शुरू तो किया जा सकता है, लेकिन एक बड़ा ड्रॉ बैक ये भी रहता है कि इन कॉलेजों में एमडी के लिए होने वाले प्री-पीजी टेस्ट का माहौल नहीं होता है। ऐसे में स्टूडेंट्स को सैकंड ईयर के साथ ही प्री पीजी की सिस्टमैटिक तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
एमडी टेस्ट की शुरू से करें तैयारी
प्री पीजी एग्जाम क्रैक करना काफी टफ होता है। गवर्नमेंट कॉलेज में तो एनवायर्नमेंट होता है, लेकिन प्राइवेट कॉलेजों में इसको लेकर खास माहौल नहीं होता है। स्टूडेंट्स को सैकंड ईयर के साथ ही तैयारी करने की सलाह दी जाती है।