पहले नए स्कूलों को सीबीएसई की मान्यता लेने के लिए पहले राज्य से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होता था फिर सीबीएसई भी जांच कर दोबारा अनापत्ति प्रमाण पत्र देती थी। इस तरह दोहराव होता था और काफी समय भी लगता था। कई मामलों में तो दस दस साल तक आवेदन लंबित रहता था, लेकिन अब स्कूलों को केवल जिला शिक्षा अधिकारी से अनापति प्रमाण पत्र लेना होगा।
उन्होंने बताया कि सीबीएसई लर्निंग आउटकम के आधार पर उन स्कूलों को मान्यता देगी और इसके लिए वह स्कूलों का दौरा कर इसकी जांच करेगी। इस से गुणवत्ता को ही मान्यता मिल सकेगी। उन्होंने आगे कहा कि दूसरा परिवर्तन यह किया गया है कि अब वे अपना आवेदन ऑनलाइन जमा करेंगे जिस से समय की भी बचत होगी। देश में सीबीएसई के बीस हजार 700 स्कूल हैं और हर साल दो हजार से अधिक नए स्कूलों को मान्यता दी जाती है। पिछले कई वर्षों से इतने आवेदन लंबित पड़े थे कि हमें गुण-दोष के आधार पर आठ हजा, मामले निपटाए।
तो, होगी मान्यता रद्द
यह पूछे जाने पर कि अगर राज्यों द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र देने में नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया तो क्या सीबीएसई उन प्रमाण पत्रों की जांच नहीं करेगी। जावड़ेकर ने कहा कि अगर कोई बड़ी गड़बड़ी होगी तो सीबीएसई जांच करेगी, लेकिन हमकों राज्यों पर भी विश्वास करना होगा। उन्होंने आगे बताया कि स्कूलों में अपनी दुकान से किताबें, पोशाक और जूते आदि खरीदने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है और अगर स्कूल फिर भी मनमानी करते हैं तो उनके खिलाफ करवाई की जाएगी और उसकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है।
यह गभीर मामला है
उन्होंने बताया कि इसका फायदा यह हुआ कि स्कूलों में एनसीआरटी की किताबों की बिक्री बढ़ गई है। 2014 में एनसीआरटी की दो करोड़ रुपए की किताबें बिकी थी, जबकि अब छह करोड़ रुपए की किताबें बिक रहीं हैं। इस तरह किताबों की बिक्री में तीन गुना वृद्धि हो गई है। यह कहे जाने पर कि मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत कई स्कूलों ने कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर दाखिले नहीं लिए। इस पर जावेड़कर ने कहा कि हमने अखबारों में इसे पढ़ा है। वह इस मामले को देखेंगे और कार्रवाई करेंगे। हमने राज्यों से जानकारी मांगी है, यह गंभीर मामला है।
होंगे केंद्रीय कर्मचारियों के नियम लागू
दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में 95 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्रों की बढ़ती संख्या के बारे में पूछे जाने पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि वह इसे नियंत्रित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं और तीन साल से सभी ग्रुपों को बोर्डों को बुलाकर सुधार लाने की कोशिश कर रहे हैं। शिक्षक बढ़ा-चढ़ा कर अंक देकर शिक्षा का अहित कर रहे हैं। यह कहे जाने पर कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लिए केन्द्रीय कर्मचारियों की तरह सेवा नियम लागू होने का शिक्षक जगत विरोध कर रहा है। जावेड़कर ने कहा कि हम किसी की स्वतंत्रता को रोकथाम नहीं चाहते प्राध्यापकों को जो स्वतंत्रता होती और उसपर हमारा अंकुश लगाने का इरादा नहीं। यूजीसी ने जो सर्कुलर निकला है उसमें उसने विश्वविद्यालयों को अपना नियम बनाने को कहा है। वे आर्डिनेंस निकाल कर अपना नियम बनाए। जो केन्द्रीय विश्वविद्यालय नियम नहीं बनाएंंगे उन पर केन्द्रीय कर्मचारियों के नियम लागू होंगे।
जल्द होगी घोषणा
स्टडी इंडिया कार्यक्रम के बारे में उन्होंने कहा कि विदेशों में इसके लिए रोडशो हो रहे हैं और विदेशी छात्रों को भारत मे पढऩे के लिए उन्हें आकर्षित करने में समय लगेगा। ऑस्ट्रेलिया ने दस साल यह अभियान चलाया था। इसलिए अभी तो हमारी अभियान की शुरुआत है। नई शिक्षा नीति के मसौदे के बारे में जावड़ेकर ने कहा कि यह 2020 से 2040 तक के लिए लागू होगा और जल्द ही इसकी घोषणा होगी।