यह कहे जाने पर कि संघ परिवार से जुड़े शिक्षक नेता दीनानाथ बत्रा ने एनसीआरटी की किताबों में पढ़ाए जाने वाले इतिहास पर आपत्ति की थी और उसमे परिवर्तन किए जाने का सुझाव भी दिया था जिसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था, क्या उस सम्बन्ध में कोई बदलाव किया जा रहा है, सेनापति ने कहा कि बत्रा का कोई पत्र ही हमें नहीं मिला, इसलिए उनका कोई सुझाव हमें प्राप्त नहीं हुआ।
उन्होंने कहा इसलिए इतिहास की किताबों में कोई बदलाव करने का सवाल ही नहीं उठता। यह पूछे जाने पर कि क्या एनसीआरटी के कामकाज पर संघ या सरकार की ओर से कोई दवाब काम करता है या किसी तरह का कोई हस्तक्षेप है तो उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई दबाव उन पर कभी नहीं आया। हम लोग स्वतंत्र ढंग से काम कर रहे हैं। इसलिए किताबों से कोई सामग्री हटाई नहीं गई।
यह पूछे जाने पर कि इन किताबों की समीक्षा होने के बाद नई किताबें कब तक छप जाएंगी, उन्होंने कहा कि अगले वर्ष नए एकेडमिक सत्र से ये किताबें तैयार हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि एनसीआरटी को ऑनलाइन 920 सुझाव मिले थे इनमे वास्तविक सुझाव तो 221 ही थे, जबकि 345 तथ्य और आंकड़े अपडेट करने हैं। मसलन अब नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हो गए तो अब किताबों में से पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मु$खर्जी का नाम हट जाएगा। नई जनगणना के अनुसार कई आंकड़े भी बदल जाएंगे।
उन्होंने कहा कि किताबों में जो गलतिया हैं भी वे बहुत मामूली हैं और उनमें अधिकतर छपाई की भूले हैं। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति बनने के बाद ही नई पाठ्यचर्या तैयार की जाएगी और उसके आधार पर ही नई किताबें फिर से तैयार होंगी, इसलिए अभी उनके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि किताबों में किस तरह के बदलाव होंगे।