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सभी विद्यार्थियों पर एक तरह का पाठ्यक्रम न थोपा जाए : उपराष्ट्रपति नायडू

locationजयपुरPublished: Nov 19, 2018 07:37:23 pm

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने देश में शिक्षण संस्थाओं की बढ़ती संख्या और गुणवत्ता में कमी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए समूची शिक्षा प्रणाली के लिए नई योजना तैयार करने का आह्वान किया है और कहा है कि सभी छात्र-छात्राओं पर एक ही तरह का पाठ्यक्रम नहीं थोपा जाना चाहिए।

Venkaiah naidu

Venkaiah Naidu

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने देश में शिक्षण संस्थाओं की बढ़ती संख्या और गुणवत्ता में कमी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए समूची शिक्षा प्रणाली के लिए नई योजना तैयार करने का आह्वान किया है और कहा है कि सभी छात्र-छात्राओं पर एक ही तरह का पाठ्यक्रम नहीं थोपा जाना चाहिए। नायडू ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के 95वें दीक्षांत समारोह में कहा कि शिक्षण संस्थानों की बढ़ती संख्या के अनुरूप देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ है। समूची शिक्षा प्रणाली के लिए नई योजना तैयार करने की आवश्यकता है।

उन्होंने चेतावनी दी कि ‘हर कुश्ती में एक ही दांव’ वाला दृष्टिकोण हमें कहीं नहीं ले जाएगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को स्वतंत्र रूप से सोचने की जगह मिलनी चाहिए। हम विज्ञान में उत्कृष्ट छात्र और संगीत के प्रतिभावान छात्र पर एक ही पाठ्यक्रम नहीं थोप सकते। छात्र-छात्रा का केवल आधा समय कक्षा में बीतना चाहिए और शेष समय समुदाय, खेल के मैदान, प्रकृति और खुली हवा में बीतना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा, आप भाग्यशाली हैं कि आपने इस महान विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की है, लेकिन उनके बारे में सोचिए जिन्हें लायक होने के बावजूद ऐसा अवसर नहीं मिल रहा है। शिक्षा और अंतिम मील तक खुले अवसरों का लाभ उठाना हम पर निर्भर करता है।

अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं
नायडू ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के प्रमुख स्थान के रूप में देश के प्राचीन गौरव को बहाल करने की आवश्यकता है। भारत किसी समय विश्व गुरू के नाम से जाना जाता था और हमारे विश्वविद्यालय उत्कृष्टता का अंतरराष्ट्रीय केन्द्र थे। उन्होंने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वे उच्च शिक्षा की मांग पूरी करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं तथा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए महंगी शिक्षा के स्थान पर सस्ती शिक्षा की व्यवस्था करें।

चुनौती में बदल जाएगी
उन्होंने कहा कि देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। यदि हम अपनी विशाल युवा आबादी को उचित तरीके से शिक्षित और कौशल युक्त नहीं बनाएंगे तो जनसंख्या लाभ की यह स्थिति चुनौती में बदल जाएगी। उन्होंने छात्र-छात्राओं से आग्रह किया कि वे अपनी डिग्रियों और अंकों तक ही खुद को सीमित नहीं रखे। उन्होंने आगे कहा, यह तो केवल आधार मात्र है। आप यहां से जीवन में कैसे आगे बढऩा चाहते हैं और आगे क्या बनना चाहते हैं, यह पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है।

उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालयों से कहा कि वे युवाओं को उपयोगी और प्रबुद्ध नागरिक बनाएं। भारत का लक्ष्य निरन्तर समग्र विकास है। इस लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग देश के उत्साही, बुद्धिमान और संसाधन संपन्न युवाओं द्वारा प्रशस्त किया जाना चाहिए। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी भी मौजूद थे।

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