इसके धार्मिक अध्ययन का प्रावधान बीएचयू अधिनियम 1915 और संसद द्वारा संशोधित अधिनियम 1951 द्वारा आज तक संरक्षित और मूल भावना के अनुरूप चला आ रहा है। ऐसे में बीएचयू (BHU) के सभी अधिनियमों के साथ ही संसद द्वारा मान्य मौलिक स्वरूप सहित एसवीडीवी की परंपरा के साथ किसी भी स्तर पर छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। पूर्व प्रोफेसरों ने इसके लिए पूर्व में पारित अधिनियमों का हवाला देते हुए नियुक्ति को रद्द करने की मांग की है।
एसवीडीवी में डॉ. फिरोज की नियुक्ति के विरोध में छात्रों ने 16 दिनों (सात से 22 नवंबर) तक धरना दिया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) (RSS) के दखल के बाद छात्रों ने भले ही धरना समाप्त कर दिया है, परंतु इसे लेकर संघ में भी कई लोग सहमत नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार, संघ का एक धड़ा धरना समाप्त करने को लेकर नाराज दिखा, तो वहीं विद्यार्थी परिषद (ABVP) भी दबे स्वर में कह रहा है कि परिसर के मामले में संघ को थोड़ा दूर रहकर परिषद को ही सामने रहने देते तो बेहतर होता। हालांकि इस मुद्दे पर संघ की आगे की कार्रवाई पर कोई बोलने को तैयार नहीं है। परिषद के कुछ पदाधिकारी मुस्लिम शिक्षक प्रकरण को लेकर काफी आहत हैं।