उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि पाश ही नहीं किसी कवि लेखक की किसी भी रचना को पाठ्यक्रम से नहीं हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि केवल मीडिया में इस तरह की $खबरें आती हैंं। ‘हमने पहले भी स्पष्ट किया था कि टैगोर की कविता एनसीआरटी की किताबों से नहीं हटाई जा रही है।’ मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी संसद में सा$फ कहा था कि टैगोर की कोई रचना किताबों से हटाई नहीं जाएगी।
सेनापति ने यह स्पष्टीकरण तब दिया है जब गत दिनों एक अंग्रेजी दैनिक में यह खबर प्रकाशित हुई कि भटिंडा में पाश की 67वीं जयन्ती के मौके पर उनकी इस मशहूर कविता के पोस्टर को जारी किए जाने के अवसर पर बुद्धिजीवियों ने कहा कि सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतें इस कविता को एनसीआरटी की किताबों से हटाने में लगी हैं। गौरतलब है कि मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार संघ परिवार से जुड़े दीना नाथ बत्रा ने एनसीआरटी को पत्र लिखकर पाश और अन्य लेखकों की रचनाएं हटाने की मांग की थी।
9 सितम्बर 1950 को जालंधर के तलवंडी सालेम गांव में जन्मे पाश और उनके मित्र हंसराज की 23 मार्च 1988 को आतंककारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पाश अमरीका में रहते थे और वीसा के लिए भारत आए थे। उन्हें अगले दिन ही अमरीका लौटना था। पाश की हत्या के बाद उनकी कविताएं साहित्य जगत में काफी लोकप्रिय हुईं और नई पीढ़ी के वे नायक बन गए। हिन्दी में उनकी कविताओं का काफी अनुवाद भी हुआ।