उन्होंने कहा कि स्कूल के पास 30.85 करोड़ रुपए अधिशेष होने के बावजूद अध्यापकों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, वेतन नहीं दिया गया है, जबकि शुल्क में हर साल वृद्धि की गई है। उन्होंने आगे कहा, 2018-19 के सत्र में स्कूल ने वास्तविक शुल्क से 2.09 करोड़ रुपए की रकम वसूल की। हमने स्कूल को अतिरिक्त शुल्क की रकम 30 दिनों के भीतर वापस करने का आदेश दिया है, अन्यथा कार्रवाई होगी। या नहीं तो स्कूल छात्रों के माता-पिता को बताए कि वह आगामी महीनों के शुल्क में इस रकम का समायोजन करेगा।
सिसौदिया ने कहा, स्कूल ने फीस से उगाहे गए 4.5 करोड़ रुपए नए भवन के निर्माण पर खर्च किए। कानूनन स्कूल को मकान बनाने में अपने पैसे खर्च करने चाहिए थे, न कि छात्रों से ली गई फीस का पैसा इस पर खर्च करना चाहिए। उन्होंने कहा, इस भवन में इसने एक नया स्कूल खोला है, जिसका नाम इंटरनेशनल स्कूल है। इंटरनेशनल स्कूल के कई अध्यापकों को दूसरे स्कूल के खातों से वेतन दिया जाता है और इसके द्वारा लिया गया शुल्क दूसरे खाते में जाता है। उन्होंने कहा कि स्कूल ने रखरखाव यानी हाउसकीपिंग का बिल बढ़ाकर 5.5 करोड़ रुपए दिखाया है, लेकिन उसका कोई ब्योरा नहीं दिया है।