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पंजाब में अनुसूचित जाति के 35 फीसदी छात्र काॅलेजों में प्रवेश नहीं ले पाए

Published: Aug 04, 2018 10:12:53 am

केन्द्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति छात्रों की पोस्टमेट्रिक छात्रवृृति के नियम बदलने से पंजाब में इस वर्ग के 35 फीसदी छात्र काॅलेजों में प्रवेश नहीं ले सके हैं।

Punjab SC Students

SC students Admission

केन्द्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति छात्रों की पोस्टमेट्रिक छात्रवृृति के नियम बदलने से पंजाब में इस वर्ग के 35 फीसदी छात्र काॅलेजों में प्रवेश नहीं ले सके हैं। इस हालत से उबरने के लिए पंजाब सरकार छात्रवृृति अदायगी की नई नीति लागू करेगी। कांग्रेस विधायक राजकुमार वेरका ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने अनुसूचित छात्रों को पूरे सत्र की पढाई कर लेने पर ही छात्रवृृति देने का नियम बना दिया है।

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केन्द्र पर पंजाब की इस छात्रवृृति का अभी 1700 करोड रूपए बकाया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र के इन नियमों के चलते हो रही समस्या से निपटने के लिए प्रदेश सरकार नई नीति बनाने जा रही है। वेरका ने कहा कि पंजाब की कैप्टेन अमरिंदर सिंह सरकार ने पदोन्नति में ए और बी श्रेणी पदों पर १४ फीसदी और सी एवं डी श्रेणी में 20 फीसदी आरक्षण लागू किया है। इस तरह पंजाब सरकार पूरे देश में रोल माॅडल बन गई है।

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उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति संगठन और अन्य महिला संगठन मुख्यमंत्री समेत समूची केबिनेट का सम्मान करेंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने सिर्फ वोटों की खातिर एससीएसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बेअसर करने के लिए लोकसभा में विधेयक पारित कराया है। वरना पिछले दो अप्रेल को भारत बन्द से पहले ही यह कदम
उठाया जाना चाहिए था।

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यूजीसी, एआईसीटीई का विलय 2019 से पहले होने की संभावना कम

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) का प्रस्तावित विलय 2019 से पहले होने की संभावना कम है। विश्वस्त सूत्र के मुताबिक विलय के मसले को तब तक के लिए टाल दिया गया है जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार को राज्यसभा में बहुमत प्राप्त नहीं हो जाता। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछले साल यूजीसी और एआईसीटीई को मिलाकर उच्चतर शिक्षा सशक्तीकरण विनियमन एजेंसी (एचईईआरए) बनाने का प्रस्ताव किया था।
मंत्रालय के सूत्र ने बताया कि एचईईआरए की स्थापना करने के लिए संसद के दोनों सदनों की मंजूरी की आवश्यकता होगी। इसलिए सरकार राज्यसभा में बहुमत प्राप्त करने तक इसके लिए प्रतीक्षा करेगी। सूत्र ने बताया, यह एक राजनीतिक मसला है। इसके अलावा संस्थान की रूपरेखा पर भी अभी काम करना बाकी है। लेकिन इसे संसद में लाने का विचार अभी स्थगित कर दिया गया है। प्रस्तावित एजेंसी में दो वाइस चेयरपर्सन हो सकते हैं जो यूजीसी और एआईसीटीई के काम-काज को संभालेंगे।
यूजीसी एक सांविधिक निकाय है जिसका गठन डिग्री और अनुदान देने के के अलावा उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता मानक स्थापित करने के लिए किया गया था। जबकि एआईसीटीई भी एक वैधानिक निकाय है जिसका काम तकनीकी संस्थापना करना और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली गुणवत्ता पर नजर रखना है।
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