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निजी स्कूलों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा फीस नहीं भरी तो गरीब बच्चों को नहीं देंगे एडमिशन

locationजयपुरPublished: Apr 10, 2019 05:51:58 pm

एसोसिएशन ने साफ किया है कि सरकार 134ए के तहत गरीब बच्चों के जन धन खाते में कम से कम 5000 रुपए जमा करवाए। सरकार जब तक इस मामले में फैसला नहीं लेती है तहतक कोई भी स्कूल इस साल रूल के तहत एडमिशन नहीं देगा।

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फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने 134ए के मुद्दे पर हरियाणा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। एसोसिएशन ने साफ किया है कि सरकार 134ए के तहत गरीब बच्चों के जन धन खाते में कम से कम 5000 रुपए जमा करवाए। सरकार जब तक इस मामले में फैसला नहीं लेती है तहतक कोई भी स्कूल इस साल रूल के तहत एडमिशन नहीं देगा।

एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष व नेशनल इंडिपेंडेट स्कूल एलाइंस (निसा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि खट्टर सरकार गरीबों को उनका हक देने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि इस साल स्कूल संचालकों ने फैसला लिया है कि इस साल कोई भी स्कूल 134ए के तहत किसी भी गरीब बच्चे को मुफ्त एडमिशन नहीं देगा। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल संचालक गरीबों को पढ़ाना चाहते हैं लेकिन, खट्टर सरकार की नीति व नियम गरीब विरोधी है।

उन्होने आरोप लगाया कि जब से बीजेपी की सरकार बनी है गरीब बच्चों को पढ़ाने की एवज में दी जाने वाली रिइंबसमेंट को नहीं दी गई। जिसका सीधा मतलब यह है कि सरकार गरीबों को शिक्षा से वंचित रखने की साजिश कर रही है और बदनाम निजी स्कूलों को करती है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन लगातार मांग उठाती रही है कि सरकार बच्चों व उनके परिवारों के खोले गए जन धन खातों में सीधा कैश जमा करवाए, ताकि बच्चे हक के साथ स्कूल का चुनाव कर सके।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पिछले ६ सालों से निजी स्कूल संचालक 134ए के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त पढ़ा रहे हैं। एसोसिएशन लगातार यह सवाल उठाती आई है कि सरकार ने यदि इन बच्चों को कैश वाउचर नही दिया तो निश्चिततौर पर आने वाले सालों में इनकी पढ़ाई पर आने वाले खर्च का बोझ उन 90 प्रतिशत बच्चों के अभिभावकों पर पड़ेगा, जो उन स्कूलों में पढ़ते हैं।


खट्टर सरकार नहीं दे रही स्कूलों का ५०० करोड़- कुलभूषण शर्मा
कुलभूषण शर्मा ने कहा कि प्रदेशभर में चलने वाले निजी स्कूल संचालकों में १३४ए के तहत करीब १ लाख बच्चे मुफ्त शिक्षा हासिल कर रहे हैं। आरटीई नियम के तहत सरकार की जिम्मेदारी है कि वह निजी स्कूल संचालकों द्वारा मुफ्त पढ़ाने जाने वाले बच्चों को सरकारी स्कूलों में खर्च होने वाले प्रति बच्चा खर्च रिइंबसमेंट के तौर पर दे लेकिन, खट्टर सरकार ने चार सालों में एक बार भी निजी स्कूलों को कोई reimbursment नहीं की। दिल्ली सरकार भी निजी स्कूल संचालकों को 1700 रुपए प्रति महीना रिइंबसमेंट दे रही है और ऐसे में हरियाणा सरकार की तरफ तो स्कूल संचालकों की रिइंसबमेंट ओर भी ज्यादा बनती है। कुलभूषण शर्मा ने कहा कि यदि सरकार दिल्ली की तर्ज पर ही रिइसंबमेंट देती है तो अब तक निजी स्कूलों का करीब 500 करोड़ रुपए बनता है।

प्रदेश में बंद नहीं होना चाहिए एक भी स्कूल
शर्मा ने मांग उठाई कि 2003 से पहले प्रदेशभर में चल रहे अस्थाई मान्यता व परमिशन प्राप्त स्कूलों को सरकार बिना शर्त मान्यता दे, ताकि बच्चों को शिक्षा हासिल करने में किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े। वही दूसरी तरफ कुलभूषण शर्मा गैरमान्यता प्राप्त स्कूलों के पक्ष में उतर आए। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेशभर में गैरमान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद करने का एलान कर चुकी है लेकिन, सरकार का यह फैसला शिक्षा विरोधी है। उन्होंने कहा कि इन गैरमान्यता प्राप्त स्कूलों को एक रुम एक क्लास के आधार पर स्कूल चलाने की परमिशन देते हुए मान्यता दे।

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