scriptराजस्थानः इतिहास की पुस्तक में होगी पद्मिनी के जौहर की कहानी, जाने डिटेल्स | Rajasthan board will have rani padmini and her johar story in hindi | Patrika News

राजस्थानः इतिहास की पुस्तक में होगी पद्मिनी के जौहर की कहानी, जाने डिटेल्स

locationजयपुरPublished: May 19, 2019 04:31:57 pm

जौहर को लेकर देशभर में मचा बवाल अब थमने वाला है।

Education,History,govt school,RBSE,Rajasthan board,education news in hindi,rani padmini,

education news in hindi, education, rajasthan board, rbse, govt school, rani padmini, history book, history

जौहर को लेकर देशभर में मचा बवाल अब थमने वाला है। जिन पुस्तकों को लेकर पिछले एक सप्ताह से लगातार दोनों दलों के नेताओं द्वारा आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं, उनकी सच्चाई अब जल्द पूरा प्रदेश पढ़ेगा। स्कूल व पाठ्य पुस्तक मंडलों में सातवीं, दसवीं और बारहवीं की पुस्तकें पहुंचने से पहले ही पत्रिका टीम इन पुस्तकों तक सबसे पहले पहुंची, जिनमें महाराणा प्रताप के इतिहास के बारे में सभी पुस्तकों में एक जैसा ही बताया गया है। कक्षा 12वीं की पुस्तक के पाठ संख्या चार में बताया कि पद्मिनी के नेतृत्व में चित्तौड़ का पहला जौहर हुआ। इसी पुस्तक में पद्मिनी की पूरी कहानी भी दी गई है।

इन बातों को लेकर विवाद
आरोप लगाए जा रहे हैं कि पद्मिनी के जौहर को पुस्तकों से हटा दिया गया है। कई संगठनों की ओर से कुछ शब्दों के हटाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन बेहद रोचक बात यह है कि पुस्तकों में पद्मिनी और जौहर को लेकर लिखे पाठों में इस साल ऐसा कुछ बदलाव नहीं हुआ है। पत्रिका टीम ने मामले की तह तक जाते हुए कई दिनों की छानबीन के बाद पाठ्यपुस्तक मंडल, पुस्तकों के लेखक व शिक्षा विभाग की तीनों कमेटियों से बातचीत की। जिन पुस्तकों को लेकर विवाद हो रहा है पत्रिका टीम ने उन पुस्तकों को भी पढ़ा, जिनमें पद्मिनी और जौहर का जिक्र है। पत्रिका टीम ने जब बोर्ड की पुस्तकों को देखा तो सामने आया कि सभी पुस्तकों में महाराणा प्रताप के बारे में एक जैसा ही वर्णन लिखा हुआ है और कही भी हारा हुआ नहीं बताया है।

7वीं की किताब में
कक्षा 7वीं के पाठ 17 ‘राजस्थान एवं दिल्ली सल्तनत’ में रावल रतनसिंह की जीवनी दी गई है। इसमें लिखा है गौरा एवं बादल के प्रयासों से रतनसिंह अलाउद्दीन की कैद से मुक्त होकर दुबारा किले में आ गए। रावल रतनसिंह व सेनापति गौरा व बादल वीरगति को प्राप्त हुए। इधर, रानी पद्मिनी के नेतृत्व में स्त्रियों ने किले के अंदर जौहर किया जो चित्तौड़ का पहला जौहर था। सुल्तान के दिल्ली लौटने के बाद राजपूत वीरों ने चित्तौड़ जीतने के प्रयास जारी रखे।

10वीं की किताब में
कक्षा दसवीं की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक के अध्याय दो ’संघर्षकालीन भारत-1206 ई. से 1757 ई. तक’ में बताया गया है कि रणथम्भौर किले की घेराबंदी के बाद अनाज का संकट होने पर हम्मीर ने दुर्ग में बंद रहने को उचित नहीं समझकर आक्रमण करने का निश्चय किया। आक्रमण से पूर्व राजपूत स्त्रियों ने हम्मीर की रानी रंगदेवी व उसकी पुत्री पद्मला के नेतृत्व में जौहर किया।

12वीं की किताब में
कक्षा 12वीं भारतीय इतिहास पुस्तक के अध्याय 4 ’मुस्लिम आक्रमण: उद्देश्य और प्रभाव’ में पद्मिनी की पूरी कहानी दी गई है। इसमें लिखा कि अलाउद्दीन खिलजी के रतन सिंह को कैद करने के बाद पद्मिनी ने राजपूत योद्धाओं को बैठाकर रवाना हो गई और वहां जाकर राणा को सुरक्षित चित्तौड़ को निकाल दिया। रतन सिंह अपने सेनानायकों गोरा व बादल के साथ लड़ता हुआ मारा गया और पद्मिनी ने जौहर किया।

इनका कहना है
इतिहास की पुस्तकों से जौहर संबंधी विवरण हटाए जाने के दावे गलत हैं। नई किताबों को देखने के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। कक्षा 12 की इतिहास की पुस्तक में पद्मिनी की कहानी और जौहर का विस्तार से विवरण लिखा गया है।
– अरविंद भास्कर, कक्षा 12 की पुस्तकों के लेखक

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो