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राजस्थान : अव्यवस्थाओं के कारण NEET काउंसलिंग बनी मुसीबत

Published: Aug 14, 2018 02:58:13 pm

राजस्थान के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में चल रही राज्य कोटे की दूसरे चरण की नीट काउंसलिंग अव्यवस्थाओं व मनमानी के कारण अभ्यर्थियों और परिजनों के लिए मुसीबत बनी हुई है।

NEET Counselling

NEET Counselling

राजस्थान के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में चल रही राज्य कोटे की दूसरे चरण की नीट काउंसलिंग अव्यवस्थाओं व मनमानी के कारण अभ्यर्थियों और परिजनों के लिए मुसीबत बनी हुई है। प्रदेश के सरकारी और गैर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इन दिनों एमबीबीएस व डेंटल यूजी की सीटों पर प्रवेश के लिए यह काउंसलिंग प्रक्रिया चल रही है। प्रदेशभर के करीब 10 हजार अभ्यर्थी और अभिभावक इस काउंसलिंग के लिए चार दिन से जयपुर में हैं। सुबह से दूसरे दिन अलसुबह तक चल रही काउंसलिंग से हर कोई परेशान हैं। उनका कहना है कि काउंसंलिग में कुछ भी स्पष्ट नहीं होने से परेशानी ज्यादा बढ़ रही है। इस दौरान यह भी आया है कि प्रदेश में पहली बार शुरू हुए पाली, डूंगरपुर सहित कुछ निजी मेडिकल कॉलेजों की NRI कोटे की सीटें भी इस बार भर ही नहीं पाई। इन्हें सामान्य सीटों में परिवर्तित कर दिया गया है।

काउंसलिंग बोर्ड का कहना है कि ये सीटें भरने के लिए पूरा अवसर दिया, लेकिन ये अंतिम समय तक भरी नहीं। जबकि कुछ अभ्यर्थियों का कहना है कि बोर्ड ने जानबूझकर इन सीटों पर आए अभ्यर्थियों को दस्तावेज जमा कराने का अवसर देना ही नहीं चाहा। जिससे ये सीटें खाली रह गईं। जिसका खमियाजा अभ्यर्थियों के साथ ही कॉलेजों को भी उठाना पड़ा। एनआरआई कोटे की फीस जहां करीब पांच साल की 70 लाख है। जबकि सामान्य कोटे की फीस इसकी करीब आधी है। इससे नए कॉलेजों को करीब तीन करोड़ तक के नुकसान की जानकारी है।

डीडी के नाम पर बनाया चक्करघिन्नी
प्रदेशभर से आए अभ्यर्थियों में से कई ऐसे भी, जिनके दूसरे चरण की काउंसलिंग में कॉलेज अपग्रेड हो गए। उन्हें दुबारा डीडी बनवाने के लिए कहा गया। जबकि इनका कहना था कि वेबसाइट पर दुबारा डीडी बनवाने की आवश्यकता नहीं बताई गई थी। अभ्यर्थियों का कहना था कि शनिवार-रविवार दोनों दिन अवकाश के थे। सोमवार को अभ्यर्थी डीडी बनवाने में ही बहुत परेशान हो गए।

फर्जी अभ्यर्थियों के आरोप भी

कई अभ्यर्थियों का आरोप था कि काउंसलिंग में कुछ फर्जी अभ्यर्थी भी शामिल हुए। इन अभ्यर्थियों को कुछ निजी कॉलेजों ने काउंसलिंग तक की प्रक्रिया पूरी करवाई। इसके बदले उन्हें पैसे भी दिए गए। एनवक्त पर इन्हें सीट खाली करने का सौदा किया गया। ताकि निजी कॉलेज मैनेजमेंट कोटे में मनचाहे दाम लेकर ये सीटें भर सकें।

वर्जन
सब कुछ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार चल रहा है। अभ्यर्थी क्या और क्यों आरोप लगा रहे हैं। इस बारे में अभी कुछ नहीं कह सकता। एनआरआई कोटे में कुछ नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों सहित निजी मेडिकल कॉलेजों की सीटें भी सामान्य में परिवर्तित की गई है। डॉ यूएस अग्रवाल, प्राचार्य एवं नियंत्रक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज

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