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राजस्थान विश्वविद्यालय में बदले पीएचडी के नियम, जारी हुई नई गाइडलाइन

राजस्थान विश्वविद्यालय ने 4 जनवरी 2017 को जारी ऑडिनेंस 124 के तहत एमपैट 2017 की परीक्षा कराई थी।

Sep 04, 2018 / 10:06 am

सुनील शर्मा

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राजस्थान विश्वविद्यालय में पीएचडी के नियम बीच सत्र में बदल दिए गए । विवि ने पीएचडी की प्रवेश परीक्षा एमपैट जिन नियमों से कराई, उन्हीं के तहत शोधार्थियों के रजिस्ट्रेशन किए गए। पंजीकरण होने के २ माह बाद विवि ने मनमर्जी से नियम बदल दिए। सीटें कम होने से कुछ शोधार्थी चयन के बाद भी बाहर हो सकते हैं।
राजस्थान विश्वविद्यालय ने 4 जनवरी 2017 को जारी ऑडिनेंस 124 के तहत एमपैट 2017 की परीक्षा कराई थी। इसमें एमपैट परीक्षा में चयन के तुरंत बाद विभागीय रिसर्च कमेटी (डीआरसी) के तहत शोधार्थियों को गाइड अलॉट करने, टॉपिक की आउटलाइन तैयार होने और उसी दिन से शोधार्थी का पंजीकरण करने का प्रावधान है। बताया जाता है कि कोर्स वर्क उसके बाद शुरू करने का उल्लेख किया हुआ है।
शोधार्थियों का नुकसान
एमपैट 2017 की प्रक्रिया वर्ष 2017 से चल रही है। नए आदेश के अनुसार डीआरसी अगले मार्च-अप्रेल तक होगी। इन डेढ़ वर्ष के दौरान करीब 40 प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर सेवानिवृत्त होंगे। इससे करीब 50-60 शोधार्थियों को नुकसान होगा।
प्रक्रिया अपनाई नहीं, यों बदल दिए नियम
राजस्थान विश्वविद्यालय ने 28 अगस्त को आदेश जारी कर कहा कि कोर्स वर्क पूरा होने के बाद ही डीआरसी होगी। उसके बाद रिसर्च के सिनोप्सिस स्वीकृत होने पर गाइड दिए जाएंगे। उससे पहले सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक भी शोधार्थी नहीं ले सकेंगे। विवि ने इसके सीधे आदेश जारी कर दिए जबकि ऑडिनेंस में बदलाव के लिए पहले अकादमिक कौंसिल में प्रस्ताव रखा जाता है। फिर उसे सिंडीकेट व सीनेट में स्वीकृत करवाया जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से ही ऑडिनेंस में बदलाव किए जा सकते हैं।
बीच सत्र में नियम बदलना गलत है। ये बदलाव आगामी सत्र में लागू किए जाने चाहिए।
– सोनम, शोधार्थी

हमारी डीआरसी जून में ही हो चुकी है। जो गाइड अलॉट किए गए हैं, उनका कुछ समय बाद ही रिटायरमेंट हैं। पता नहीं आगे क्या होगा।
– पवन कुमार, शोधार्थी

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