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हजारों परीक्षार्थियों को लगेगा झटका, RPSC दो परीक्षांए कराएगा दोबारा

Published: Jun 14, 2016 07:09:00 am

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फुल कमीशन की बैठक में पंवार ने सदस्यों के समक्ष विधि विशेषज्ञों की राय को रखा

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कनिष्ठ लेखाकार एवं तहसील राजस्व लेखाकार भती परीक्षा-2013 अक्टूबर में दोबारा ली जाएगी। राजस्थान लोक सेवा आयोग के फुल कमीशन की बैठक में राजस्थान उच्च न्यायालय के परीक्षा निरस्त करने के आदेश की अपील नहीं करने और परीक्षा अक्टूबर में दोबारा कराने का निणय किया गया।
कनिष्ठ लेखाकार भती परीक्षा निरस्त करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के बाद आयोग की ओर से चार विधि विशेषज्ञों से आदेश पर अपील करने के संबंध में राय ली गई। उच्च न्यायालय के आदेश एआईपीएमटी परीक्षा-2015 में नकल के कारण सवोज़्च्च न्यायालय की ओर से परीक्षा निरस्त कर दोबारा परीक्षा कराने का हवाला भी दिया गया है। आयोग के विधि विशेषज्ञों ने एकल पीठ के निणज़्य का प्रत्येक दृष्टिकोण से अध्ययन करने के बाद खंडपीठ में अपील नहीं करने का सुझाव दिया।
आयोग के अध्यक्ष ललित के. पंवार की अध्यक्षता में सोमवार शाम आयोजित फुल कमीशन की बैठक में पंवार ने सदस्यों के समक्ष विधि विशेषज्ञों की राय को रखा। सदस्यों ने भी अपील नहीं करने और परीक्षा का दोबारा आयोजन कराने पर सहमति दी। 
पंवार ने बताया कि कनिष्ठ लेखाकार एवं तहसील राजस्व लेखाकार भतीज़् परीक्षा का आयोजन अक्टूबर में कराया जाएगा, परीक्षा की तिथि की घोषणा आगामी दिनों में की जाएगी।

यूं चला घटनाक्रम

– आरपीएससी ने 19 सितम्बर-2013 को कनिष्ठ लेखाकार एवं तहसीलराजस्व लेखाकार भतीज़् के लिए आवेदन मांगे
-31 अक्टूबर 2014 और 16 अप्रेल 2015 को संशोधित विज्ञापन जारी कर टीआरए के 279 और कनिष्ठ लेखाकार के कुल 3 हजार 497 पद किए

-पहले विज्ञापन के करीब 23 महीने बाद 2 अगस्त 2015 को सभी जिला एवं उपखंड मुख्यालयों पर दो पारियों में परीक्षा आयोजित की गई।
-परीक्षा के दौरान पुलिस ने राजसमंद, पाली, जालोर, बाड़मेर और जयपुर में हाईटैक तरीके से नकल करते और नकल करवाते सात लोगों को गिरफ्तार किया। जोधपुर, बाड़मेर और जालोर सहित अन्य जिलों में बैठे लोग ब्लूटुथ पर अभ्यथिज़्यों को प्रश्नों के उत्तर बताते हुए पकड़े गए
-कुछ अभ्यथिज़्यों ने राजस्थान उच्च न्यायालय में परीक्षा निरस्त कराने के लिए याचिका दायर की। याचिका पर हाईकोटज़् ने परीक्षा का परिणाम जारी करने पर रोक लगाई

-करीब नौ महीने तक न्यायालय में चली सुनवाई के दौरान आयोग ने भी समय-समय पर अपना पक्ष रखा। -3 जून को उच्च न्यायालय ने परीक्षा निरस्त करने का आदेश दिया

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