बड़ा फर्जीवाड़ा खुलने पर मचे हड़कंप के बाद विभाग अब वितरित छात्रवृत्ति राशि वापस लेने की तैयारी कर रहा है। विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी कर राशि वसूलने, संबंधितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को कहा है।
यूं पकड़ा फर्जीवाड़ा
छात्रवृत्ति के लिए विभाग ने पिछले वर्ष नया पोर्टल शुरू किया था। इसमें आधार व भामाशाह नंबर देना अनिवार्य था। कुछ दिन पहले विभागीय अधिकारियों ने भामाशाह के डेटा से आवेदन पत्रों के डेटा का मिलान किया तो फर्जीवाड़े की पोल खुल गई। विभाग ने अब तक 2.5 लाख आवेदन पत्रों का डेटा मिलाया है। इनमें से 5027 के पिता सरकारी नौकरी में मिले जबकि छात्रों ने आय प्रमाण पत्र में किसान या मजदूर बताया है। आय 1.50 लाख से भी कम बताई है। ये आय प्रमाण पत्र सरकारी अधिकारी व नोटेरी से सत्यापित भी हैं। अब विभागीय अधिकारी शेष ढाई-तीन लाख विद्यार्थियों का डेटा और खंगाल रहे हैं।
छात्रवृत्ति का अधिकांश बजट केंद्र सरकार से आता है लेकिन इस साल केन्द्र ने बजट में भारी कटौती की थी। राज्य को 500 करोड़ रुपए तक दिए जा रहे थे, जिसे घटाकर 15-20 फीसदी कर दिया गया। केन्द्र की सख्ती बाद जागे विभाग ने आवेदन पत्रों की जांच की।