इस प्रमाण पत्र को संबंधित ठेकेदार से पंजीकृत करवाया था। जिसमें ठेकेदार का जीएसटी नंबर, पैन नंबर सहित कई अन्य प्रकार की जानकारी मांगी गई। हालांकि इसमें श्रमिक यूनियन का भी प्रमाण पत्र लगाने का भी विकल्प दिया गया। उसमें भी इसी प्रकार की सूचना थी। दिहाड़ी मजदूरों के सामने दिक्कत आई कि वे ठेकेदार का जीएसटी नंबर आदि कहां ले लाएं। कुछ छात्र-छात्राओं ने अधूरी जानकारी के साथ प्रमाण पत्र सबमिट कर दिया लेकिन अब तक लम्बित है।
यह है योजना
निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना सरकार ने 1 अप्रेल 2015 से शुरू की। इसमें पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बच्चों, पत्नी को शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति के रुप में सहायता दी जाती है। कक्षा 6 से लेकर स्नातकोत्तर की कक्षा में सरकारी, केंद्र-राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त निजी स्कूल या कॉलेज में नियमित रुप से अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को 8 हजार रुपए से लेकर 35 हजार रुपए प्रति वर्ष की छात्रवृत्ति दी जाती है।
ऑनलाइन आवेदन तो सबमिट किए मगर छात्रवृत्ति पर संकट
ब्रह्मपुरी निवासी मांगीलाल निर्माण श्रमिक हैं। उनकी बेटी बीए तृतीय वर्ष की छात्रा है। अभी तक उसकी फीस छात्रवृत्ति से ही भरी जा रही थी। इस बार भी आवेदन कर दिया था। लेकिन नए प्रमाण पत्र में सारी सूचनाएं नहीं भर पाए। उन्होंने साल भर अलग-अलग ठेकेदार के साथ काम किया। ऐसे में कोई भी ठेकेदार अपना जीएसटी नंबर, पैन नंबर आदि नहीं दे रहा है। बेटी की छात्रवृत्ति का आवेदन भी अभी तक लम्बित है।
देनी है जानकारी
प्रमाण पत्र पहले भी दे रहे थे, अब भी दे रहे हैं। जो प्रमाण पत्र पहले थे, उसमें केवल ठेकेदार का जीएसटी या पैन नंबर, कोई भी एक जानकारी देनी है।
-नवीन जैन, आयुक्त, श्रम विभाग