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UP में Shiksha Mitra का सोमवार से अनिश्चितकालीन धरना

Published: Aug 21, 2017 05:56:00 pm

Shiksha Mitra को उनके अपने ही जिले में रोकने के लिए सभी जिलों के अधिकारियों को आदेश दिया गया है।

Shiksha Mitra

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट की ओर से शिक्षा मित्रों का सहायक अध्यापक के तौर पर समायोजन रद्द होने के बाद से नाराज शिक्षामित्र सोमवार को फिर लखनऊ में प्रदर्शन करेंगे। Shiksha Mitra के आंदोलन को देखते हुए लखनऊ में जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दिया है। साथ ही शिक्षा मित्रों को उनके अपने ही जिले में रोकने के लिए सभी जिलों के अधिकारियों को आदेश दिया गया है।

शिक्षामित्रों ने 21 अगस्त से लखनऊ में समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र संघर्ष मोर्चा के बैनर तले अनिश्चितकालीन आंदोलन छेडऩे का ऐलान किया था। इसी के तहत शिक्षामित्र लखनऊ लक्ष्मण मेला मैदान पर जुटने शुरू हो गए हैं। सुबह तक ही यहां के लक्ष्मण मेला मैदान पर शिक्षामित्र सैकड़ों की संख्या में जुट गए थे।

इस आंदोलन में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ, उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ, कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति, भारतीय किसान यूनियन जैसे संगठनों ने समर्थन देने का ऐलान किया है।

गौरतलब है कि सभी Shiksha Mitra समायोजन रद्द होने से भड़के हुए हैं। वहीं आंदोलन को धार देने के लिए शिक्षामित्रों को दो बड़े गुट आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन और उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन ने साझा संघर्ष मोर्चा बनाया है।

शिक्षामित्रों की मांग है कि सरकार संशोधित अध्यादेश लाकर उन्हें फिर से सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करे। तब तक ‘समान कार्य के लिए समान वेतनÓ के सिद्घांत पर उन्हें शिक्षकों के बराबर तनख्वाह दी जाए।

वाराणसी में शिक्षामित्रों के आंदोलन को मिला कांग्रेस का साथ
वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शिक्षामित्रों के आंदोलन का समर्थन करने की घोषणा करते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार के साथ केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को भी निशाना बनाया। मोदी पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय ने कहा, प्रधानमंत्री शिक्षामित्रों को न्याय दिलाने के अपने वादे भूल गए हैं। उनकी सरकार जल्ली कट्टू के लिए अध्यादेश तो ला सकती है, लेकिन बच्चों के भविष्य निर्माण की नींव में योगदान देने वाले शिक्षामित्रों की चिन्ता उन्हें नहीं है।

वाराणसी लोक सभा क्षेत्र में मोदी से चुनावी मुकाबला कर चुके राय ने आरोप लगाया कि भाजपा चाहती है कि प्राथमिक शिक्षा भी पूरी तरह निजी हाथों में सौंप दिया जाए, ताकि गरीबों के बच्चें आगे नहीं बढ़ पाएं। यही वजह है कि सरकारी शिक्षा तंत्र को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने शिक्षामित्रों को उनके नौकरी हासिल करने के न्याय की लड़ाई में नैतिक समर्थन की घोषणा करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी गरीबों के खिलाफ की जा रही साजिश का पर्दाफाश करेगी। वह शिक्षामित्रों के न्याय हासिल करने के आंदोलन को आगे बढ़ाने में सहयोग करेगी।

पिंडरा विधान क्षेत्र से कई बार विधायक रहे राय और कांग्रेस नेता ललितेशपति त्रिपाठी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पर धरना दे रहे शिक्षामित्रों से मुलाकात की और उन्हें समर्थन देने की घोषणा की। त्रिपाठी ने कहा कि गरीब परिवारों की शिक्षा की बुनियादी संरचना आज शिक्षामित्रों के बल पर चल रही है। उनके साथ न्याय का रास्ता निकालना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि बजट में योगी सरकार ने शिक्षा मद में आवंटन धनराशि घटाकर पहले ही अपनी नीयत जता चुकी है।

उन्होंने कहा कि आज हालात ये है कि शिक्षामित्र नहीं हों, तो विद्यालयों के दरवाजे नहीं खुलते। लेकिन यह सब जानते हुए भी योगी सरकार गांव के गरीब बच्चों की शिक्षा के प्रहरियों के भविष्य पर खड़े प्रश्नचिह्न को लेकर चिंता की बात तो दूर, वह अपने कानों में तेल डाले बैठी है। शिक्षामित्रों से मिलने वाले दल में राय एवं त्रिपाठी के अलावा छावनी परिषद के पार्षद शैलेंद्र सिंह तथा कांग्रेस नेता सतीश चौबे, संजय सिंह सहित अनेक कांग्रेसी नेता शामिल हैं।

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