हंगी पढ़ाई और एजुकेशन लोन के कर्ज में डूबे अमरीकी स्टूडेंट अब क्लास और घर में पढ़ाई से ज्यादा पार्ट टाइम जॉब में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। स्थिति ये है कि स्टूडेंट लेक्चर और लाइब्रेरी में पढ़ाई के लिए वक्त नहीं निकाल पाते हैं। एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार 85 फीसदी स्टूडेंट कॉलेज में दाखिला लेने के साथ ही नौकरी शुरू कर देते हैं। छात्र औसतन रोजाना साढ़े चार घंटे का समय नौकरी को देते हैं जो लाइब्रेरी में समय देने की तुलना में दोगुना है। इनवाइट एजुकेशन और एजुकेशनल फाइनेंसियल प्लानर जॉन हुपालो का कहना है कि बच्चों पर आर्थिक बोझ इस समस्या का बड़ा कारण है। इस स्थिति की वजह से बच्चे पढ़ाई के साथ पैसा कमाने पर ध्यान देते हैं।
खर्च का ऐसा गणित
अमरीकी छात्रों की ट्यूशन फीस पर उनके अभिभावक औसतन 12 लाख 11 हजार 980 रुपए (करीब 17,314 अमरीकी डॉलर) की रकम खच करते हैं। इसमें उनका रहना खाना पीना और दूसरे तरह के अन्य खर्चे शामिल होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार चार अमरीकी अभिभावकों में तीन अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए अपनी दैनिक आय पर निर्भर हैं। एक तिहाई अभिभावक ही बैंक में जमा राशि को बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च करते हैं। पढ़ाई के साथ नौकरी बच्चों की पढ़ाई पर असर डालती है। दस में से छह छात्र कर्ज को लेकर चिंतित रहते हैं जबकि 28 फीसदी स्टूडेंट तनाव में रहते हैं। कई बार देखा गया है कि बच्चे पढ़ाई और नौकरी के बोझ में इतने दब जाते हैं कि वे बीमार होने लगते हैं। ऐसे में उनका बेहतर ध्यान रखना जरूरी है।