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Teachers Day 2020: बदलते दौर में शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन, लेकिन शिक्षक का महत्व बरकरार

Teacher Day 2020: बदलते दौर में शिक्षा के स्वरूप में भले ही परिवर्तन हो गया है, लेकिन भारतीय समाज में शिक्षक का महत्व बरकरार है। आज भी शिक्षक को भगवान से बढ़कर दर्जा है और समाज में सम्मान है।

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बच्चों को मुफ्त पढ़ाकर बना रहे टॉपर, कई ऐसे जिन्हें दुनिया करती हंै सलाम, ऐसी है इनकी कहानी

Teacher Day 2020: बदलते दौर में शिक्षा के स्वरूप में भले ही परिवर्तन हो गया है, लेकिन भारतीय समाज में शिक्षक का महत्व बरकरार है। आज भी शिक्षक को भगवान से बढ़कर दर्जा है और समाज में सम्मान है। हो भी क्यों न शिक्षक भले ही कितनी परेशानी में हो लेकिन अपने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य में कभी कोताही नहीं बरतता। अब तो शिक्षकों की भूमिका बच्चों को पढ़ाने ही नहीं उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने महती भूमिका की ओर बढ़ रहे है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि 'शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे बल्की वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें । शहर में ऐसे ही कई शिक्षक हैं, जिन्होंने पढ़ाई को मिशन समझा और एक कदम आगे बढ़कर विद्यार्थियों का भविष्य गढ़ा। शिक्षक दिवस पर शहर के कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं, जो अपना सर्वस्व देकर नई पीढ़ी को कामयाब बना रहे हैं।

ऑनलाइन शिक्षा
कोरोनाकाल में शिक्षा एक और बदलता हुआ स्वरूप सामने आया है। विद्यार्थियों को जहां शिक्षा के लिए विद्यालय जाना पड़ता था वहीं आज विद्यार्थी मोबाइल या लैपटॉप पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

बच्चों को दिए ऐसे शिक्षा संस्कार, बन रहे डॉक्टर-इंजीनियर
पढ़ाई में रटनतोता की जगह अगर हम उसे प्रैक्टिकल के रूप में समझाएं तो आसानी से याद हो जाता है और जब पढ़ाई के कोर्स को घर की एक्टिविटी से जोड़ दें तो यह बच्चों के सीधे जेहन में बैठ जाती है। बस जरूरत है तो पढ़ाने का खास तरीका, बच्चों के प्रति प्रेम और उन्हें समझने की। एक बार बच्चों में संस्कार भावना पैदा हो जाए तो फिर उनकी उन्नति कभी नहीं रुक सकती। कुछ ऐसा ही केंद्रीय विद्यालय से सेवानिृवत्त प्राइमरी कक्षा की शिक्षिका विद्या शर्मा ने किया है। इवीएस जैसे विषय को पढ़ाते-पढ़ाते उन्हें ऐसी कई टेक्निक अपनाई, जिससे बच्चों की पढ़ाई आसान हुई तो साइंस जैसे विषय भी सरल लगने लगे। शर्मा का कहना है कि पढ़ाई की पहली नींव प्राइमरी शिक्षा है। नवंबर १९९९ में सेंट्रल स्कूल में पढ़ाने आई, तब से ही प्राइमरी बच्चों में संस्कार के साथ, पढऩे के प्रति दिलचस्पी, अनुशासन और समझने-जानने के प्रति जिज्ञासा बढ़ाने का काम किया। पढ़ाई के हर विषय को घर में होने वाली एक्टिविटी से जोड़ा। बच्चों को बताया कि कैसे घरों के गमले में हम एक बीज बोते हैं, खाद और पानी देते हैं तो वह बढ़कर पौधा और फिर फूल खिलते हैं। बचपन से सीखने की ललक हो जाए तो उनका भविष्य हमेशा उज्जवल होता है। बच्चों के साइंस जैसे विषय के प्रति जोडऩे पर शर्मा को रमन शताब्दी पर सरकार की और साइंस डेवलपमेंट के लिए पुरस्कृत भी किया जा चुका है।

बच्चों से दिल से जुडऩे की जरूरत
अगर आप शिक्षक हैं तो आपको बच्चों से दिल जुडऩे की जरूरत है। उनकी कमियां, अच्छाई, आदतों से आपको सीधे जुडऩे होगा। जब तक एक शिक्षक में अपने विद्यार्थियों के बारे में पता नहीं होगा वह उसे अच्छा विद्यार्थी नहीं बना सकेगा। शर्मा के मुताबिक उन्हें ३३ वर्ष की नौकरी में हर दिन विद्यार्थियों को आत्मीयता के साथ पढ़ाया।