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दो कमरों का सरकारी स्कूल, पर हर बच्चा अंग्रेजी में करता है बात

Published: Jul 17, 2018 10:14:16 am

आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के माता-पिता का कहना है कि वे खुद तो पढ़ नहीं सके लेकिन आज बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया करवा रहे हैं।

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सांगानेर तहसील के सुखियां में दो कमरों के प्राथमिक सरकारी स्कूल में बच्चे प्रवेश लेने के छह महीने में ही अंग्रेजी फर्राटे से बोल लेते हैं। ये बच्चे गणित में भी होशियार हैं। शिक्षकों की मेहनत और भामाशाहों के प्रयासों से यह सब कुछ हो पाया है।
स्कूल में दो शिक्षिकाएं हैं, लेकिन बच्चे रोज नई-नई विधाएं सीख रहे हैं। १९७२ से यह स्कूल चल रहा है। शुरुआत में बच्चों की संख्या न के बराबर थी, लेकिन शिक्षकों के जागरूक करने के कारण ग्रामीणों ने बच्चों को स्कूल भेजा। अब यहां ७० बच्चे पढ़ रहे हैं, ये सभी बच्चे पढ़ाई में होशियार है।
माता-पिता बोले, सुकून मिलता है
आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के माता-पिता का कहना है कि वे खुद तो पढ़ नहीं सके लेकिन आज बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया करवा रहे हैं। इससे उन्हें सुकून मिलता है।
ई-लर्निंग से मिला फायदा
भामाशाहों की ओर से दान किए गए कम्प्यूटर से बच्चे ई-लर्निंग के जरिए खुद को अपडेट रख रहे हैं। बच्चे कम्प्यूटर में पेंट के जरिए नई-नई डिजाइन बना रहे हैं तो एमएस वर्ड में एप्लीकेशन तक टाइप कर रहे हैं। स्कूल में हर बच्चा कम्प्यूटर ऑपरेट कर रहा है। बच्चों की प्रतिभा निखारने के लिए पास के एक निजी कॉलेज और एनजीओ के छात्र-छात्राएं भी बच्चों की मदद कर रहे हैं। इसके तहत बच्चों को सेल्फ डिफेंस के गुर भी सिखाए जा रहे हैं।
स्कूल में बच्चों की संख्या इस बार १०० के आसपास पहुंचने की उम्मीद है। स्कूल में कमरे बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं।
– रेखा चौरासिया, प्रिंसीपल

सरकारी स्कूल अब निजी स्कूल से कम नहीं हैं, यहां के बच्चे उन्हें मात दे सकते हैं। मदद के लिए प्रयास करते रहेंगे।
– सुरेश कोचर और एम.पी.मूंदड़ा, भामाशाह
बाल संसद के जरिए बच्चों में नेतृत्व के गुणों और स्पोकन इंग्लिश पर खासा ध्यान दिया जा रहा है।
– लक्ष्मी शर्मा, शिक्षिका

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