एजुकेशन लोन उन भारतीय नागरिकों को दिया जाता है जिन्होंने किसी पेशेवर या तकनीकी कोर्स में प्रवेश लिया हो या फिर मेरिट के आधार पर उनका देश या विदेश के किसी संस्थान में सलेक्शन हुआ है। भारतीय बैंक संघ के नियमानुसार बैंक भारतीय संस्थानों के लिए 10 लाख रुपये तक और विदेशी में पढ़ाई के लिए 20 लाख रुपये तक का लोन दिया जा सकता है। इसमें एक बात यह भी ध्यान रखें कि एजुकेशन लोन के लिए सह-आवेदक का होना अनिवार्य है। इसके रूप में लोन लेने वाले अभिभावक, जीवनसाथी या भाई-बहन भी हो सकते हैं।
4 लाख से कम लोन पर नहीं देनी होती सिक्योरिटी
4 लाख रुपये से काम राशि के हायर एजुकेशन लोन के लिए बैंक द्वारा किसी प्रकार की सिक्योरिटी नहीं ली जाती, लेकिन 4 लाख से अधिक के लोन के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की निजी गारंटी देनी अनिवार्य होती है जिसकी इनकम और पेमेंट क्षमता बैंक के नियमों के अनुसार हो। जबकि 7.5 लाख रुपये से अधिक के लोन के लिए जमानती सुरक्षा देना जरूरी होता है। जमानत के रूप में आप घर, ज्वैलरी अथवा सिक्योरिटीज भी दे सकते हैं।
कोर्स खत्म होने के 6 महीने से 1 साल के भीतर शुरू होता है रिपेमेंट
जिस कोर्स या पढ़ाई के लिए आपने लोन लिया है उसके खत्म होने के 6 महीने से 1 साल के भीतर लोन का रिपेमेंट पीरियड शुरू होता है। रिपेमेंट पर किसी भी प्रकार की रोक की स्थिति में साधारण ब्याज ही बैंक द्वारा लिया जाता है। हालंकि कई प्राइवेट बैंकों के ब्याज के अपने—अपने नियम हैं जिनको आप लोन लेने से पहले अच्छी तरह से जान लें। इस वजह से लोन लेने से पहले यह जान लें कि ब्याज फिक्स्ड रहेगा या फ्लोटिंग है।
एजुकेशन लोन में ये होता है कवर
एजुकेशन लोन में जो भी कोर्स या पढ़ाई आप कर रहे हैं उसकी बेसिक फीस और कॉलेज के दूसरे खर्च (हॉस्टल, परीक्षा और अन्य) आदि कवर होते हैं। इनका खर्चा बैंक द्वारा दिए गए एजुकेशन लोन के जरिए कवर किया जाता है।