आगामी दशक नई शिक्षा नीति से तय होगा भविष्य –
साल 2020 में केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की। 2021 से शुरू हो रहे दशक का भविष्य इसी नीति से तय होगा। अब पांचवी तक की पढ़ाई बच्चे मातृभाषा में ही करेंगे। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 3 से 18 साल तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिलेगा। बोर्ड परीक्षा साल में दो बार होगी। यूजी-पीजी-सर्टिफिकेट कोर्स में भी बदलाव होगा। रीजनल से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक ओलम्पियाड परीक्षा करवाई जाएंगी। इससे शिक्षा के परम्परागत तरीके में बदलाव आएगा। छात्रों को इच्छा के अनुसार विषय चुनने की आजादी मिलेगी और वे एक ही स्ट्रीम में बंध कर नहीं रहेंगे। विभिन्न शॉर्ट टर्म पाठ्यक्रम नए ज्ञानार्जन में सहायक बनेंगे। व्यावसायिक शिक्षा को भी परम्परागत शिक्षा जितनी ही मान्यता मिलेगी। प्राथमिक कक्षाओं में मातृभाषा को तरजीह मिलेगी।
– १३६ वां स्थान है भारत का दुनिया में शिक्षा पर खर्च के मामले में ।
– १५ फीसदी सालाना की दर से बढ़ रही है भारत में ऑनलाइन एजुकेशन इंडस्ट्री ।
– जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है नई शिक्षा नीति में ।
– इस साल 99,300 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है शिक्षा के क्षेत्र में ।
– 3000 करोड़ खर्च किए जाएंगे कौशल विकास के क्षेत्र में ।
कौशल विकास जरूरी –
यूजी-पीजी की डिग्री लेकर 40-45 की उम्र तक सरकारी नौकरी की तैयारी करना, यह समाज में आमचलन चल पड़ा है। जब तय आयु सीमा पूरी हो रही है, उसके बाद वह न तो निजी नौकरी कर पा रहा और न ही व्यवसाय। इसका बड़ा कारण है केवल किताबी ज्ञान और कौशल विकास का न होना। ऐसे में अब सबसे जरुरी है कि युवाओं हुनर भी सिखाया जाए। पारम्परिक कार्यों व कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाए।
विदेश आया पास, करो पढ़ाई –
विदेश से पढ़ाई का सपना अब घर बैठे साकार हो रहा है। नामी विश्वविद्यालय ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स का अवसर दे रहे हैं। न वीजा का झंझट, न विदेश जाकर रहने का खर्च। घर बैठे ऑनलाइन कई सटिफिकेट कोर्स आसानी से किए जा सकते हैं। जिन्हें पेशेवर जगत में अच्छी मान्यता है। कोरोना काल में लोगों ने मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन कोर्स किए हैं।
ई-शिक्षा बढ़ रहा कारोबार –
९५ लाख यूजर्स ऑनलाइन एजुकेशन हासिल करने वाले हो जाएंगे भारत में २०२१ तक। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 तक ऑनलाइन एजुकेशन सेक्टर का कारोबार करीब 1.96 बिलियन डॉलर का हो जाएगा।
ऑनलाइन रोजगार बढ़े –
तकनीक के बढ़ते चलन ने रोजगार के नए नए अवसर उत्पन्न कर दिए हैं। बीपीओ, केपीओ, स्टार्टअप के बाद अब ऑनलाइन एप्प के जरिए स्थानीय स्तर पर नए नए प्रकार के रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। तकनीक ने उपभोक्ताओं और विक्रेताओं को एक मंच प्रदान किया है जिसके चलते युवाओं के लिए ऑनलाइन कमाई के बड़े नए मौके तैयार हो गए हैं। इन अवसरों को पूरा लाभ हासिल करने के लिए नए प्रकार के स्तरीय पाठ्यक्रम और सर्टिफिकेट्स की डिमांड तेज हो रही है।
एक्सपर्ट कमेंट- कृषि,चिकित्सा व खेल की पढ़ाई पर ध्यान के साथ ऑफलाइन भी है जरूरी…
कोरोना काल में कृषि क्षेत्र ने ही देश को संबल दिया है। देश में कृषि विश्वविद्यालय का हिस्सा 9 प्रतिशत है और कृषि शिक्षा विद्यार्थियों का हिस्सा केवल एक प्रतिशत है। अब सभी विश्वविद्यालय को कृषि शिक्षा में काम करना चाहिए।
एन.एस. राठौड़, वाइस चांसलर, महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय, उदयपुर
पुराने मेडिकल कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी की कमी को पूरा करने पर भी फोकस करना होगा। नए कॉलेजों के खुलने से गुणवत्तापूर्ण शोध और मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण उपचार में भी बढ़ोतरी होगी।
डॉ. नरपत सिंह शेखावत, पूर्व अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल, जयपुर
ऑनलाइन परीक्षा से नकल पर रोक के साथ ही पेपर लीक, उत्तर पुस्तिका जांच में भी सुधार हो सकता है। कोरोना काल में कई विश्वविद्यालयों ने ऐसा किया है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व कैमरे व स्क्रीन मूवमेंट के जरिए निगरानी रखी जाती है।
आयुष भारद्वाज, सायबर सुरक्षा विशेषज्ञ
स्पोट्र्स भी एक अच्छा करियर है। इसे सब्जेक्ट में जोड़ा जाए। शारीरिक शिक्षक भी कम है, स्कूलों में खेलने के मैदान ही नहीं है। सरकार को इसके लिए पॉलिसी बनानी होगी। स्पोट्र्स कल्चर डवलप करना होगा, तभी खेल और खिलाड़ी आगे बढेंगे।
श्रीराम सिंह शेखावत, पद्मश्री, अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता
ऑनलाइन पढ़ाई ऑफलाइन का विकल्प नहीं हो सकती है। स्कूल में बच्चे का सर्वांगीण विकास होता है। शिक्षक, बच्चे के मेंटोर होते हैं। बच्चा स्कूल में जीवन जीना सीखता है। ऑनलाइन में यह सब मुश्किल है। ऑनलाइन भी विकल्प के रुप में जारी रह सकती है।
वास्वी भरतराम, शिक्षाविद्, नई दिल्ली